PFI है क्या और क्यों है NIA के रडार पर...
प्रवर्तन निदेशालय नागिरकता संशोधन अधिनियम के विरोध में देश भर में आंदोलन समेत 2020 के दिल्ली दंगों को वित्तीय मदद उपलब्ध कराने और उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित साजिश रचने की जांच कर रहा है.
highlights
- पीएफआई पर आतंक समेत भारत विरोधी गतिविधियों के वित्त पोषण का आरोप
- राष्ट्रीय जांच एजेंसी केंद्र सरकार से पीएफआई पर प्रतिबंध की कर चुकी है मांग
- केरल के लव जेहाद मामलों समेत इस्लामिक स्टेट के लिए भर्ती करने का भी आरोप
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने विगत दिनों देश भर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सैकड़ों ठिकानों पर छापेमारी की. एनआईए की पीएफआई संगठन के खिलाफ कथित तौर पर आतंकवाद से जुड़े मामलों को लेकर कार्रवाई की गई. पीएफआई पर आतंकवाद के प्रशिक्षण केंद्र चलाने, युवाओं को कट्टरता का पाठ पढ़ाने समेत आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाने का आरोप है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के साथ संयुक्त कार्रवाई में 10 राज्यों में पीएफआई के राष्ट्रीय, प्रादेशिक और स्थानीय नेतृत्व के खिलाफ छापेमारी की और 106 पीएफआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. पीएफआई ने इस छापेमारी पर प्रतिक्रिया स्वरूप 'फासीवादी सरकार' पर असहमति के सुरों को दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.
क्यों की गई छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय नागिरकता संशोधन अधिनियम के विरोध में देश भर में आंदोलन समेत 2020 के दिल्ली दंगों को वित्तीय मदद उपलब्ध कराने और उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित साजिश रचने की जांच कर रहा है. पीएफआई की स्थापना 2006 में केरल में हुई थी, जिसका मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में है. एनआईए लखनऊ की विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष पीएफआई और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ दो चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. बीते साल फरवरी में मनी लांड्रिंग के मामले में ईडी ने पीएफआई और उसकी छात्र ईकाई कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ पहली चार्जशीट दाखिल की थी. ईडी की चार्जशीट में दावा किया गया कि पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने 2020 के हाथरस गैंग रेप मामले के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़काने और आतंक फैलाने की साजिश रची. इसके साथ ही दावा किया गया कि पीएफआई एक कट्टरपंथी संगठन है. 2017 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने केंद्र सरकार से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. केंद्र सरकार को प्रेषित किए गए डोजियर में आराप लगाया गया था कि पीएफआई देश की सुरक्षा के लिए खतरा है. दक्षिण भारत की तीन मुस्लिम संस्थाओं ने विलय कर 2007 में पीएफआई को जन्म दिया था. पीएफआई देश के 23 राज्यों में सक्रिय है. कुछ सरकारी एजेंसियों ने भी पीएफआई पर समाज विरोधी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप लगाया है.
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इस्लामिक स्टेट से जुड़े हैं तार
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया है कि पीएफआई और उसकी छात्र ईकाई व्यापारिक सौदों के नाम पर खाड़ी देशों में फंड जुटाता है. इस रकम का इस्तेमाल फिर भारत विरोधी गतिविधियों में किया जाता है. हालांकि पीएफआई खुद को एक सामाजिक संगठन ही करार देता है. इस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विरोधी संगठन पर केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ अल्पसंख्यकों का हिंसक आंदोलन छेड़ने का भी आरोप है. खासकर सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान पीएफआई ने सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने की साजिश रची, ऐसा आरोप भी लगा. केरल में लव जेहाद के सामने आए मामलों में कई जांच एजेंसियों ने पीएफआई की संलिप्तता की जांच की. जबरन धर्मांतरण और अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट से जुड़ने के लिए कुछ युवाओं को प्रेरित करने का भी आरोप पीएफआई पर है.
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