5G सर्विस से 5GB की फिल्म महज 35 सेकंड में होगी डाउनलोड
अभी 4G तकनीक से इसी साइज की फिल्म डाउनलोड करने में 40 मिनट लगते हैं. 3G सर्विस में इसके लिए 2 घंटे, तो 2G में इतनी साइज की फिल्म के लिए 2.8 दिन लगेंगे. 5G स्पेक्ट्रम के काम शुरू करने के बाद करोड़ों डिवाइस रियल टाइम में डाटा शेयर कर सकेंगे.
highlights
- डाटा शेयरिंग और कनेक्टिविटी में नहीं आएगी कोई दिक्कत
- बगैर बफरिंग देख सकेंगे यूट्यूब वीडियो और ओटीटी फिल्में
नई दिल्ली:
5G स्पेक्ट्रम (5G Service) नीलामी के लिए बोलियों का दौर शुरू हो चुका है. 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में 4.3 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 72 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए बोलियां लगाई जा रही हैं. 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया में रिलांयस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अडाणी समूह की अडाणी डाटा नेटवर्क बोली लगा रही है. 5G स्पेक्ट्रम के जरिये इंटरनेट (Internet) 4G सर्विस की तुलना में लगभग 10 गुना ज्यादा कनेक्टिविटी यूजर्स को मिलेगी. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि 5G तकनीक से 5GB साइज की फिल्म महज 35 सेकंड में डाउनलोड हो जाएगी. अभी 4G तकनीक से इसी साइज की फिल्म डाउनलोड करने में 40 मिनट लगते हैं. 3G सर्विस में इसके लिए 2 घंटे, तो 2G में इतनी साइज की फिल्म के लिए 2.8 दिन लगेंगे. 5G स्पेक्ट्रम के काम शुरू करने के बाद करोड़ों डिवाइस रियल टाइम में डाटा शेयर कर सकेंगे.
किस सर्विस के लिए कौन-सा स्पेक्ट्रम जरूरी
स्पेक्ट्रम वास्तव में ऐसी रेडियो फ्रीक्वेंसी होती हैं, जिनके जरिये दूर-संचार सेवाओ के तहत सूचनाएं और डाटा सफर करते हैं. सरकार विभिन्न एयरवेव्स को कंपनी या सेक्टर्स को अपनी-अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए देती हैं. अब 5जी सेवा के 20 सालों के लिए 72,097.85 मेगाहर्ट्ज या 72 गीगाहर्ट्ज के लिए बोलियां लगाई जा रही हैं. विभिन्न श्रेणियों में बोलियां लगाई जा रही हैं. इनमें प्रारंभिक स्तर पर 600 मेगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज. इसके बाद मिड स्तर के 3300 मेगाहर्ट्ज और फिर हाई फ्रीक्वेंसी के 26 गीगाहर्ट्ज स्पैक्ट्रम के लिए बोलियां लगाई जा रही हैं. 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को लेकर बीते महीने सरकार की ओर से आए बयान के मुताबिक मिड और हाई स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर करेंगे. इस स्पेक्ट्रम पर ही 5जी तकनीक केंद्रित यूजर्स को हाई स्पीड और कनेक्टिविटी देंगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार 400 मेगाहर्ट्ज से 4 गीगाहर्ट्ज की रेंज के स्पेक्ट्रम टेलीकॉम उद्देश्य के लिए मुफीद रहते हैं. घरेलू मोबाइल टेक्नोलॉजी के लिए 2जी सर्विस के लिए 900 से 1800 मेगाहर्ट्ज के बैंड, 3जी सर्विस के लिए 900 से 2100 मेगाहर्ट्ज के बैंड, 4जी के लिए 850 मेगाहहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्टज जबकि 5जी के लिए 3.5 मेगाहर्ट्ज से 700 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की जरूरत पड़ती है.
यह भी पढ़ेंः 5जी तकनीक से लैस होंगे भारतीय बॉर्डर, चीन-पाक को मिलेगा करारा जवाब
5G सेवा से ये आएंगे बदलाव
सबसे बड़ा असर तो कनेक्टिविटी और डाटा शेयरिंग पर पड़ेगा. स्पीड की बात करें तो मात्र तीन मिनट में 4जीबी की 4के वीडियो डाउनलोड हो सकेंगी. सिग्नल कमजोर होने यानी मोबाइल टावर दूर होने पर भी इंटरनेट चलाने में कतई कोई परेशानी नहीं आएगी. सबसे अच्छी बात यूट्यूब वीडियो और फिल्म को बगैर किसी बफरिंग के देख सकेंगे. भारत में 5G आने के बाद आपकी ज़ूम कॉल नहीं अटकेगी, हार्ट की बीमारियों की स्थिति तुरंत मालूम हो जाए. फ़ोन पर ही एचडी वीडियो कॉल का आनंद ले सकेंगे. देश में 5जी फोन आ चुके हैं. 18,000 रुपए से भी कम बजट में 5जी कनेक्टिविटी सपोर्ट करने वाले स्मार्टफोन बाजार में मौजूद हैं.
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