Europe के कई देश झुलस रहे जंगलों की आग से... जानें वजह और बचाव
जंगल दहनशील वस्तुओं के प्रति संवेदनशील हो गए हैं. मसलन शहरों की ओर बड़े पैमाने पर हुए पलायन से जंगलों में सूखे वृक्ष, सूखी पत्तियां, टूटी शाखाएं अब पहले की तुलना में कहीं बहुतायत में हैं.
highlights
- फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल समेत कई देश जूझ रहे हैं जंगलों में लगी आग से
- वैज्ञानिकों का एक समूह जलवायु परिवर्तन को भी मान रहा एक कारण
लिस्बन:
एक तरफ यूरोप (Europe) को भीषण गर्मी झुलसा रही है, तो दूसरी तरफ कई देशों के जंगलों में लगी आग वनक्षेत्रों को तबाह कर रही है. स्पेन, पुर्तगाल और फ्रांस सहित यूरोप के कई देश जंगलों में लगी आग का सामना कर रहे हैं. स्थिति यह आ गई है कि सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में जंगलों में लगी आग से उठे धुएं के गुबारों को काले धब्बे के रूप में साफ-साफ देखा जा सकता है. इस साल की शुरुआत से जंगलों में लगी आग की घटनाएं अब और बढ़ गई हैं. वैज्ञानिक इसके लिए जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनके मुताबिक पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और यूरोप के गांव-देहातों में रहने वाले लोगों का हाल के वर्षों में शहरों की ओर बड़ा पलायन हुआ है, जिसके जंगलों की देखभाल नहीं हो रही है. ऐसे में किसी भी कारण उठी एक चिंगारी जंगलों को अपनी चपेट में ले रही है. यूरोप के जंगलों में लगी आग से मुकाबला पहले कभी इतना चुनातीपूर्ण नहीं था.
इसलिए दहक रहे यूरोप के जंगल
जंगल दहनशील वस्तुओं के प्रति संवेदनशील हो गए हैं. मसलन शहरों की ओर बड़े पैमाने पर हुए पलायन से जंगलों में सूखे वृक्ष, सूखी पत्तियां, टूटी शाखाएं अब पहले की तुलना में कहीं बहुतायत में हैं. संयुक्त राष्ट्र की एक एडवाइजरी बॉडी ग्लोबल फायर मॉनीटरिंग सेंटर के प्रमुख जॉन गोल्डैमर के मुताबिक बीते 1-2 हजार सालों की तुलना में दहनशील वस्तुओं का ढेर कहीं तेजी से बढ़ा है. इसी वजह से जंगलों में आग की आशंका भी बढ़ गई है. एक छोटी सी चिंगारी भी दवानल का कारण बन रही है. आंकड़ों के लिए पुतर्गाल का एक उदाहरण काफी होगा. 2017 में जंगलों की आग ने 100 लोगों की जान ली, जिनमें से 62 फीसदी अग्निकांड की घटनाएं खेतों में जलाई जाने वाली पराली की वजह से भड़की.
दक्षिण यूरोप अधिक संवेदनशील
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी का बढ़ता तापमान भी जंगलों की आग को एक नया आयाम दे रहा है. यह बात दक्षिणी यूरोप पर ज्यादा लागू हो रही है. भीषण तापमान, सूखे और तेज हवाओं ने गर्मी में लगने वाली आग की घटनाओं को हवा देने का कारण बने हैं. यूरोपीय संघ भी मान रहा है कि बीते पांच सालों में इस हिस्से में जंगलों की आग की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. यूरोप के इस हिस्से में पृथ्वी का तापमान औसत तापमान की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा है. इस साल 16 जुलाई तक यूरोप के जंगलों में आग से प्रभावित इलाके का क्षेत्रफल तीन गुना लगभग 450,000 हेक्टेयर हो गया है. 2006-2021 के सालों में इसी अवधि में जंगलों की आग से प्रभावित क्षेत्रफल का औसत 110,000 रहा है. 16 जुलाई तक यूरोप के जंगलों में 1,900 अग्निनकांड की घटनाएं हुईं. 2006-2021 के सालों में जंगलों में लगी आग का औसत 470 रहा है.
जलवायु परिवर्तन भी एक कारण
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु वैज्ञानिकों के वैश्विक पैनल (आईपीसीसी) के मुताबिक मानव गतिविधियों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ने पूर्व-औद्योगिक काल से ग्रह को लगभग 1.2 सेल्सियस तक गर्म कर दिया है. यूरोप में वायुमंडलीय परिसंचरण एक महत्वपूर्ण कारक है. यूरोप में गर्मी की लहरें संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य उत्तरी मध्य अक्षांशों की तुलना में तीन से चार गुना तेजी से बढ़ी हैं. भूमि पर औसतन हर 10 साल में एक बार जलवायु पर मानव प्रभाव के बिना गर्मी चरम पर होती है, जो अब तीन गुना अधिक है. डीजल-पेट्रोल जैसे फॉसिल फ्यूल की ज्यादा खपत ने आबोहवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ी है. इससे जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ी है. इसके असर से मौसम में भी बदलाव हुए हैं. इसी कारण से गर्म हवाएं पहले से ज्यादा चल रही हैं, और वे लंबे समय तक बनी रहती हैं. यूरोप पर भी असका असर पड़ा है.
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फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल में जल रही धरती
पुर्तगाल जंगल की आग से काफी ज्यादा प्रभावित रहा है. न केवल देश के आम नागरिक बल्कि 3000 से अधिक दमकलकर्मी भी इस आग के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. देश के कई हिस्सों में जंगलों की आग के चलते लोगों के लिए अपने घरों को सुरक्षित करना मुश्किल हो रहा है. आगे के पीछे का कारण गर्मी के चलते हुआ बेहद अधिक तापमान और सूखे की स्थिति को बताया जा रहा है. पुर्तगाल ने इस बार मई का सबसे गर्म महीना झेला है. बीते 9 दशकों में इसका 97 फीसदी इलाका गंभीर सूखाग्रस्त घोषित किया गया. फ्रांस, स्पेन और कई अन्य देशों में भी इस साल मई तपाने वाला साबित हुआ. स्पेन के कई शहरों के तापमान में इस साल 40 डिग्री से अधिक रहा. ऐसी स्थिति में जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं होगा.
कैसे रोके जंगलों की आग से
वैज्ञानिकों की मानें तो जंगलों में आग की बढ़ती घटनाओं के बीच पूरी तरह से मायूस होने की जरूरत भी नहीं है. थोड़ी सा जागरूकता से जलवायु परिवर्तन पर काबू पाया जा सकता है. इसके लिए लोगों को जैविक ईंधन का इस्तेमाल कम करना होगा. वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में कमी लानी होगी. इसके साथ ही वन प्रबंधन की नीतियों में बदलाव लाना होगा. ऐसा होने तक हम जंगलों में बढ़ती आग की घटनाओं के साथ रहना सीखना होगा.
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