भारत-पाक और दक्षिण एशियाई देशों में लाखों बच्चों के पास नहीं है ऑनलाइन क्लास की सुविधा : यूनिसेफ
रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों को स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने को प्राथमिकता देनी चाहिए.
highlights
- भारत में 14-18 आयु वर्ग के लगभग 80 प्रतिशत बच्चों में कोरोना के दौरान पढ़ाई नगण्य
- श्रीलंका में प्राथमिक स्कूल के बच्चों के 69 प्रतिशत बच्चों की पढ़ाई में रूचि हुई कम
- मोबाइल और लैपटॉप होने के बावजूद इंटरनेट कनेक्शन की कमी के कारण पढ़ाई नहीं
नई दिल्ली:
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान और भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों में करोड़ों बच्चे ऑनलाइन क्लास से वंचित हैं. ऐसे बच्चों के पास ऑनलाइन कक्षाओं के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध नहीं है. या मोबाइल और लैपटॉप होने के बावजूद इंटरनेट कनेक्शन की कमी के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. और स्कूल कोरोनोवायरस के कारण लंबे समय बंद हो गए हैं. यूनिसेफ ने पाकिस्तान, भारत, मालदीव और श्रीलंका में शोध पर आधारित एक रिपोर्ट में कहा कि पिछले साल से बार-बार स्कूल बंद होने से दक्षिण एशिया में 40 करोड़ 34 लाख (434 मिलियन) बच्चे प्रभावित हुए हैं. ऐसे बच्चे कोरोना महामारी फैलने से पहले की तुलना में काफी कम पढ़ाई कर पा रहे हैं.
अध्ययन के मुताबिक पाकिस्तान में 23 प्रतिशत छोटे बच्चों के पास ऑनालाइन शिक्षा के लिए जरूरी उपकरणों तक पहुंच नहीं है. जबकि भारत में 6 से 13 वर्ष की आयु के 42 प्रतिशत बच्चों ने स्कूल बंद होने के दौरान दूरस्थ शिक्षा की कोई सूचना नहीं दी.
भारत में 14-18 आयु वर्ग के लगभग 80 प्रतिशत बच्चों में स्कूल जाने की तुलना में घर पर रहकर पढ़ने-सीखने की सूचना नगण्य है. श्रीलंका में प्राथमिक स्कूल के बच्चों के 69 प्रतिशत माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे कम या बहुत कम सीख रहे हैं.
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दक्षिण एशिया के यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारिया-अडजेई ने कहा, "दक्षिण एशिया में स्कूल बंद होने से लाखों बच्चों और उनके शिक्षकों को कम कनेक्टिविटी और डिवाइस की सामर्थ्य वाले क्षेत्र में दूरस्थ शिक्षा में संक्रमण के लिए मजबूर होना पड़ा है."
“यहां तक कि जब एक परिवार के पास प्रौद्योगिकी तक पहुंच होती है, तब भी बच्चे हमेशा इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं. परिणामस्वरूप, बच्चों को उनकी सीखने की यात्रा में भारी झटके लगे हैं.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों को स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने को प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि महामारी से पहले भी, घनी आबादी वाले क्षेत्र में लगभग 60 प्रतिशत बच्चे 10 साल की उम्र तक एक साधारण पाठ को पढ़ने और समझने में असमर्थ थे.
जॉर्ज लारिया-अडजेई के अनुसार, "स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलना सभी सरकारों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता माना जाना चाहिए."
भारतीय महामारी विज्ञानियों और सामाजिक वैज्ञानिकों ने अधिकारियों से सभी बच्चों के लिए कक्षाएं फिर से खोलने के लिए कहा है, यह कहते हुए कि लाभ जोखिम से अधिक हैं, खासकर गरीब, ग्रामीण बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से दूर हैं.
लगभग 2 बिलियन लोगों के साथ दक्षिण एशिया में 37 मिलियन से अधिक कोरोनावायरस संक्रमण और 523,000 से अधिक मौतें हुई हैं.
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