14 दिसंबर : इंडियन एयरफोर्स के 'परमवीर' सेखों की बहादुरी का PAF भी मुरीद
सेखों भारतीय वायुसेना के इकलौते ऐसे जवान हैं जिन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. सेखों यानी फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों. भारत - पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध के हीरो. 14 दिसंबर को ही उन्होंने लड़ाकू विमान में ही वीरगति प्राप्त की
highlights
- दुश्मन विमानों से अकेले घिरे होने के बावजूद फ्लाइंग ऑफिसर सेखों ने सबको उलझाए रखा
- सेखों ने अकेले ही दुश्मन के छह-छह लड़ाकू विमानों का सामना किया और उन्हें खदेड़ा
- युद्ध में भारत विजयी हुआ और पाकिस्तान से पूर्वी हिस्सा टूट कर अलग बांग्लादेश बन गया
New Delhi:
सेखों भारतीय वायुसेना के इकलौते ऐसे जवान हैं जिन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. सेखों यानी फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों. भारत - पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध के हीरो. सेखों ने अकेले ही दुश्मन पाकिस्तान के छह-छह लड़ाकू विमानों का सामना किया. उन्हें ढेर किया और खदेड़ा. 14 दिसंबर को ही उन्होंने लड़ाकू विमान में ही वीरगति प्राप्त की. विमान का मलबा एक खाई में मिला मगर सेखों के पार्थिव शरीर का कुछ पता नहीं चला. उन्हें मरणोपरांत युद्धकाल में वीरता के लिए सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. आइए, जानते हैं कि पाकिस्तान के साथ जंग में 14 दिसंबर 1971 को सेखों ने कैसी अद्भुत वीरता का प्रदर्शन किया था.
भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत के बाद महत्वपूर्ण रक्षा ठिकानों पर हमलों का खतरा काफी बढ़ गया था. पाकिस्तान से लगती सीमा पर श्रीनगर एयरबेस की सुरक्षा के लिए बेहद खास था. 13 दिसंबर, 1971 को वहां हमले की आशंका सच साबित हुई. इधर-उधर मात खाने के बाद 14 दिसंबर को पाकिस्तानी वायुसेना ने फिर धावा बोल दिया. मगर उन्हें भारतीय वायुसेना के किसी भी एक जवान की बहादूरी का अंदाजा नहीं था. दुश्मन के होश उड़ाने को तैयार बैठे फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने उस दिन अपनी जिंदगी में जो कुछ भी सीखा था, उन सबकी झलक कुछ घंटों में दिखाते हुए दुश्मन को मात दे दी. 1967 में पायलट अफसर बनने वाले फ्लाइंग ऑफिसर सेखों की बहादुरी, अपने एयरक्राफ्ट की बेहतरीन मैनूवरिंग और कभी हार ना मानने का जज्बा देखकर दुश्मन भी हैरान रह गया और भागने पर मजबूर हो गया.
सेखों की बहादुरी को PAF के विंग कमांडर ने भी किया सलाम
श्रीनगर एयरबेस पर एयरफोर्स की नंबर 18 स्क्वाड्रन (द फ्लाइंग बुलेट्स) के फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की ड्यूटी थी. पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) के छह-छह F-86 (सेबर) जेट्स 14 दिसंबर को एयरफील्ड में घुस आए. फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने उस दिन आसमान में जो जादूगरी दिखाई, उससे पाकिस्तानी एयरफोर्स भी हैरान थी. पेशावर से उड़ान भरने वाले इन विमानों से एक को विंग कमांडर सलीम बेग मिर्जा उड़ा रहे थे. विंग कमांडर सलीम बेग मिर्जा ने एक संस्मरण में 1971 के युद्ध से जुड़े अपने अनुभवों में सेखों की बहादुरी को सलाम किया है. उन्होंने एक लेख में उस पूरा ब्योरा सामने रखा. उन्होंने लिखा कि पायलट ने बेस को खबर की थी कि उसका विमान हिट हुआ है. बेस ने कहा कि लौट आओ मगर इसके बाद पायलट ने और कुछ नहीं कहा.
अकेले सेखों का सामना करने PAF को बुलानी पड़ी मदद
जानकारी के मुताबिक जैसे ही दुश्मन के पहले एयरक्राफ्ट ने श्रीनगर एयरबेस पर हमला शुरू किया, सेखों टेकऑफ के लिए तैयार हो गए. वह दो मेंबर्स वाली टीम में नंबर 2 थे. टीम की कमान फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्मन के हाथ में थी. खतरा काफी था. हर तरफ से बम गिर रहे थे. मगर दोनों ने अपने-अपने फोलां नैट एयरक्राफ्ट संभाले और उड़ान भरी. मगर टेकऑफ के फौरन बाद ही लेफ्टिनेंट घुम्मन ने विजुअल्स खो दिए. सेखों ही तब अकेले PAF के छह-छह लड़ाकू विमानों का सामना करने वाले थे. उन्होंने दुश्मन के एक एयरक्राफ्ट को निशाना बनाया और थोड़ी देर बाद दूसरे को आग में झोंक दिया. तब तक दुश्मन की मदद के लिए बाकी पाकिस्तानी जेट्स पहुंच चुके थे.
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अकेले दुश्मन के दो विमानों को गिराया-चार को खदेड़ा
चार-चार दुश्मन विमानों से अकेले घिरे होने के बावजूद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने सबको उलझाए रखा. दुश्मन बार-बार सेखों के विमान को निशाना बनाने में चूक रहे थे. जब सेखों का जेट एक बार हिट हुआ तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल संभाल रहे स्क्वाड्रन लीडर वीरेंद्र सिंह पठानिया ने उन्हें बेस पर लौटने की सलाह दी. मगर सेखों ने दुश्मन को खदेड़ना जारी रखा. उनका जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गया. और पाकिस्तानी विमान भाग खड़े हुए. सेखों ने आखिरी वक्त में एयरक्राफ्ट से निकलने की कोशिश की जो सफल नहीं हुआ. उनकी कैनोपी उड़ती हुई देखी गई. सेखों ने अकेले ही दुश्मन के छह-छह लड़ाकू विमानों का सामना किया और उन्हे खदेड़ा. फिर उनके लड़ाकू विमान का मलबा एक खाई में मिला, मगर सेखों के पार्थिव शरीर का कुछ पता नहीं चला. युद्ध में अपना देश भारत विजयी हुआ. इसी युद्ध के बाद पाकिस्तान से उसका पूर्वी हिस्सा टूट कर बांग्लादेश नाम का एक आजाद देश बन गया.
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