नारीवाद को 'मानसिक बीमारी' बताकर दक्षिण कोरिया में सड़कों पर उतरे लोग
नारीवाद को एक सामाजिक बुराई मानने वाले बे इन-क्यू के यू-ट्यूब पर करीब 5 लाख फॉलोअर्स हैं और तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि नारीवाद के नाम पर बढ़ते अतिवाद से पुरुष खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं.
highlights
- दक्षिण कोरिया में 20 की उम्र वाले 79 फीसदी पुरुष लैंगिक भेदभाव का शिकार
ऑनलाइन बढ़ रही नारीवाद विरोधी भावनाओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता - नारीवाद राजनैतिक आंदोलनों, विचारधाराओं और सामाजिक आंदोलनों की एक श्रेणी
New Delhi:
दुनिया भर में लिंगभेद को लेकर एक नए तरह के आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो गई है. खुद को नारीवादी बताने वाले पुरुषों को लेकर दक्षिण कोरिया में नाराजगी जताते हुए एक रैली निकाले जाने की खबर सामने आई है. काले कपड़ों में पुरुषों के एक समूह ने ‘आदमी से नफरत करने वालों, ये नारीवाद एक मानसिक बीमारी है’ का नारा लगाते हुए सियोल शहर की सड़कों पर बड़ी रैली निकाली. इस रैली के साथ ही सोशल मीडिया पर भी नारीवाद विरोधी भावनाएं तूल पकड़ने लगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्षिण कोरिया में नारीवाद विरोधी ऐसे ही एक ऑनलाइन समूह के प्रमुख बे इन-क्यू का कहना है कि हमें महिलाओं से नफरत नहीं है. हम उनसे प्यार करते हैं, लेकिन हम नारीवाद को एक सामाजिक बुराई मानते हैं. बे इन-क्यू के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यू-ट्यूब पर करीब 5 लाख फॉलोअर्स हैं और ये तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि नारीवाद के नाम पर बढ़ते अतिवाद से पुरुष देश में खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. उन्होंने दक्षिण कोरिया में कुछ महीने पहले हुए एक सर्वे का हवाला देते हुए बताया कि में 20 की उम्र वाले 79 फीसदी पुरुषों ने बताया है कि वे कभी न कभी लैंगिक भेदभाव का शिकार हुए हैं. इस बात को लेकर उन सबमें गुस्सा पनप रहा है.
दुनिया में तेजी से फैल रहा ऑनलाइन अभियान
पुरुषों का नया समूह महिलाओं के समर्थन में रैली करने वालों पर तंज कसता और खुद को नारीवादी बताने वाले पुरुषों को लेकर गुस्सा जाहिर करता है. सामाजिक मनोविज्ञान के जानकारों के मुताबिक सियोल की सड़क पर ऐसे समूहों के विरोध को खारिज करना भले ही आसान माना जा रहा हो, लेकिन दक्षिण कोरिया में ऑनलाइन बढ़ रही नारीवाद विरोधी भावनाओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता. इसके गंभीर सामाजिक परिणाम सामने आ सकते हैं. यह अभियान दुनिया के दूसरे देशों में भी फैलने से नहीं रोका जा सकता है. अगर यह अभियान फैला तो देश और समाज में एक गैरजरूरी तनाव या संघर्ष शुरू हो जाएगा.
ताकत दिखाने के लिए बनाया जा रहा निशाना
दूसरी ओर इस कथित नारीवाद विरोधी समूह के समर्थन में एक बड़ा पुरुष वर्ग सामने आ रहा है. उसका मानना है कि समाज और राजनीति पर जबरन नारीवादी मुद्दे को तेजी से थोपा जा रहा है. इसे रोकने और बैलेंस करने की जरूरत है. समूह से जुड़े पुरुष एक्टिविस्ट्स ने हर उन तमाम जगहों को निशाना बनाने की कोशिश की है, जिनमें नारीवाद का मुद्दा नजर आता है. देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में दुराचार फैलने के खिलाफ लेक्चर देने वाली महिला एक्सपर्ट को बोलने से रोक दिया गया. वहीं, टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली एन सैन की बाल कटवाने पर आलोचना की गई.
राष्ट्रपति चुनाव तक पहुंचा नया अभियान
चर्चा है कि इस नए समूह का अगला कदम दक्षिण कोरिया के उन कारोबारियों को चेतावनी देने का है, जो नारीवादी तरीके से अपने प्रचार को चला रहे हैं. वहीं इनके एजेंडे में नारीवाद को बढ़ावा देने वाली नीतियों के लिए सरकार को भी आड़े हाथ लिए जाने की बात शामिल है. इस समूह ने आंदोलन चलाकर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों से वादे लिए हैं कि वे 20 साल पुराने देश के लैंगिक समानता और परिवार सुधार मंत्रालय में सुधार करेंगे. देश में इस साल ही राष्ट्रपति चुनाव हो सकते हैं.
भारत में भी बड़ी संख्या में पीड़ित पुरुष
भारत में पारिवारिक मसलों को सुलझाने के मकसद से चलाए जा रहे तमाम परामर्श केंद्रों की मानें तो घरेलू हिंसा से संबंधित शिकायतों में करीब चालीस फीसदी शिकायतें पुरुषों से संबंधित होती हैं. इसका मतलब पुरुष घरेलू हिंसा का शिकार होते हैं और उत्पीड़न करने वाली महिलाएं होती हैं. आम तौर पर ऐसी शिकायतों का विश्वास नहीं किया जाता या सुनकर हंसी में उड़ा दिया जाता है. सामाजिक संरचनाओं की वजह से अमूमन ऐसी शिकायते बाहर भी नहीं आ पाती. सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन और माई नेशन नाम की गैर सरकारी संस्थाओं की एक स्टडी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में नब्बे फीसदी से ज्यादा पति तीन साल के रिश्ते में कम से कम एक बार घरेलू हिंसा का सामना कर चुके होते हैं.
पुरुष आयोग की मांग, ऐप के जरिए मदद
घरेलू हिंसा या उत्पीड़न के शिकार पुरुषों की मदद या काउंसलिंग के लिए एक स्वयंसेवी संस्था ने 'सिफ' नाम का एक ऐप बनाया था. संस्था के प्रमुख के दावे के मुताबिक इस ऐप के जरिए 25 राज्यों के 50 शहरों में 50 एनजीओ से कानूनी मदद के लिए संपर्क किया जा सकता था. उन्होंने कहा था कि हेल्पलाइन जारी होने के 50 दिन के भीतर ही उन्हें 16 हजार से ज्यादा फोन कॉल्स मिली थीं. वहीं कुछ समय पहले विभिन्न राज्यों के कुछ सांसदों ने भी राष्ट्रीय महिला आयोग की तर्ज पर राष्ट्रीय पुरुष आयोग जैसी भी एक संवैधानिक संस्था बनाए जाने की मांग उठाई. कई सांसदों ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था.
ये भी पढ़ें - भारत-चीन के सबसे बड़े विवाद और उनकी वजहें, फिर उकसाने की साजिश में ड्रैगन
NCRB के आंकड़े, आश्रम और आंदोलन
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि हरेक आठ मिनट पर देश में एक पुरुष वैवाहिक या आर्थिक दबाव की वजह से आत्महत्या कर लेता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस समाज में पुरुषों का पालन पोषण इस तरह से हुआ है जहां वे किसी से मदद नहीं मांग सकते और न ही अपनी कमजोरी दिखा सकते हैं. देश के कई राज्यों में पीड़ित पुरुषों का संगठन बना हुआ है और कई शहरों में उनके रहने के लिए आश्रम जैसे ठिकाने भी बनाए गए हैं. ऐसे संगठन दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन और डॉक्यूमेंट्रीज बनाकर लोगों को जागरूक करते हैं. दक्षिण कोरिया में शुरू नारीवाद विरोधी अभियान के इन लोगों तक पहुंच होने की संभावना से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है.
दरअसल, नारीवाद क्या है
नारीवाद या स्त्रीवाद राजनैतिक आंदोलनों, विचारधाराओं और सामाजिक आंदोलनों की एक श्रेणी है. इसके आंदोलनकारी दुनिया भर में राजनीतिक, आर्थिक, व्यक्तिगत, सामाजिक और लैंगिक समानता को परिभाषित करने, स्थापित करने और प्राप्त करने के एक लक्ष्य को साझा करते हैं. इसमें महिलाओं के लिए पुरुषों के समान शैक्षिक और पेशेवर अवसर स्थापित करना शामिल है. नारीवादी विमर्श संबंधी आदर्श का मूल कथ्य यही रहता है कि कानूनी अधिकारों का आधार लिंग न बने. लैंगिक भेदभाव की राजनीति और शक्ति संतुलन के सिद्धांतों पर असर की व्याख्या के साथ ही महिलाओं के समान अधिकारों पर जोर इसका सकारात्मक पक्ष है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Viral Videos: आलिया-रणबीर से लेकर ऋतिक-सबा तक, स्टार स्टडेड डिनर में शामिल हुए ये सितारे
-
Bipasha Basu-Karan Singh Grover: शादी के 8 साल बाद भी एक-दूजे को बेहद चाहते हैं बिपाशा और करण, इंस्टा पर दिया प्यार का सबूत
-
Deepika Chikhlia Net Worth: हर मामले में राम जी से आगे रहीं सीता मां, राजनीति से लेकर संपत्ति तक दी टक्कर, जानें नेटवर्थ
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा