अगर मोबाइल चोरी या खो जाए तो न घबराएं, सिर्फ ये काम करने से मिल जाएगा आपका फोन
अगर आपका मोबाइल चोरी या खो जाए तो घबराए नहीं, क्योंकि अब स्मार्टफोन मिलना मुमकिन हो गया.
नई दिल्ली:
अगर आपका मोबाइल चोरी या खो जाए तो घबराए नहीं, क्योंकि अब स्मार्टफोन मिलना मुमकिन हो गया. गुम हुए या चोरी हुए फोन को खोजने के लिए मोदी सरकार ने एक वेबपोर्टल की शुरुआत की है, जो कि यूजर्स को उनके खोए फोन का पता लगाने में मदद करेगा. इसके लिए केंद्र सरकार ने टेलिकम्युनिकेशन्स डिपार्टमेंट (दूरसंचार विभाग) के माध्यम से सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर (CEIR) नाम से प्रोजेक्ट शुरू किया है.
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इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य मोबाइल नेटवर्क में रिपोर्टेड या खोए हुए फोन का पता लगाने का है. इसके तहत चोरी हुए फोन को सभी नेटवर्क पर ब्लॉक कर दिया जाता है. बता दें कि सभी फोन में पहचान के लिए आईएमईआई (IMEI) नंबर होता है. हालांकि, इस नंबर को रिप्रोग्राम किया जा सकता है, जिससे चोरी करने के बाद जालसाज इसे रिप्रोग्राम कर देते थे, जिससे आईएमईआई की क्लोनिंग हो जाती है और एक ही आईएमईआई से चोर कई फोन यूज कर लेते हैं.
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अगर चोरी होने के बाद आईएमईआई को ब्लॉक कर दिया जाए तो कई सही कस्टमर्स को भी दिक्कत हो सकती है, इसलिए डुप्लीकेट या फेक आईएमईआई फोन से छुटकारा पाना बेहद जरूरी है. इसी समस्या के लिए CEIR वेबसाइट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इसके अलावा इससे सिक्यॉरिटी, चोरी और अन्य समस्याओं में भी मदद मिलेगी.
क्या है CEIR प्रोजेक्ट के मुख्य उद्देश्य
- मोबाइल फोन खोए या चोरी हुए तो उस फोन को सभी मोबाइल नेटवर्क पर ब्लॉक करना.
- खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन का पता लगाने की सुविधाएं.
- नेटवर्क में डुप्लिकेट और नकली आईएमईआई वाले मोबाइल पर रोक.
- चोरी हुए मोबाइल के यूज पर रोक लगाना है.
- चोरी हुए मोबाइल के यूज पर कंट्रोल के साथ यूजर्स के स्वास्थ्य से जुड़े जोखिम को कम करना.
- चोरी हुए मोबाइल के यूज में कमी लाने के साथ क्वॉलिटी ऑफ सर्विस बेहतर बनाना और कॉल ड्रॉप कम करना.
मोबाइल चोरी हो तो पहले ये काम करें
अगर आपका फोन चोरी हो गया है तो पहले आपको पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करानी होगी. इसके बाद हेल्पलाइन नंबर 14422 पर कॉल करके टेलिकम्युनिकेशन्स डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी दें. बाद में डिपार्टमेंट इसका वेरीफिकेशन करने के बाद ब्लैकलिस्ट कर देगा, जिससे चोरी हुए फोन का आगे इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. अगर कोई दूसरा सिम लगाकर इसका इस्तेमाल करने की कोशिश करेगा तो सर्विस प्रोवाइडर नए यूजर की पहचान कर लेगा और पुलिस को सूचित कर देगा. हालांकि, अभी यह सुविधा पायलेट प्रोजेक्ट के तहत महाराष्ट्र में शुरू की जा रही है.
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