Chandrayaan 2: चंद घंटे बाद दम तोड़ देगा 'विक्रम', भीषण सर्दी में संपर्क की रत्ती भर उम्मीद नहीं
लैंडर विक्रम रेडियोआइसोटोप (Radioisotope Heater) हीटर यूनिट तकनीक से लैस नहीं है. ऐसे में वह लूनर नाइट में खुद को गर्म रखने में सक्षम नहीं रहेगा. यानी उससे संपर्क के सारे प्रयास बेकार साबित होंगे.
highlights
- बस चंद घंटों बाद चंद्रमा पर रात होते ही लैंडर विक्रम का भविष्य डूब जाएगा काले अंधेरे में.
- चंद्रमा पर रात होते ही अंधेरा इतना घना होगा कि विक्रम की तस्वीर तक नहीं ली जा सकेगी.
- तापमान में कमी आने से विक्रम 'दम' तोड़ देगा, क्योंकि वह खुद को गर्म नहीं रख पाएगा.
बेंगलुरु:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लैंडर विक्रम (Lander Vikram) से संपर्क स्थापित करने के अपने प्रयासों को लेकर वक्त के खिलाफ जंग लड़ रहा है. महज चंद घंटों बाद ही चांद के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर अंधेरा कायम हो जाएगा और इसके साथ ही विक्रम को भी अंधेरे का काला साया अपने आगोश में ले लेगा. काला साया इस कदर घना होगा कि लैंडर विक्रम से संपर्क तो दूर की बात है, उसकी एक फोटो लेना भी बेहद मुश्किल या कहें कि असंभव ही होगा. हालांकि इसरो के ही वैज्ञानिक मान कर चल रहे हैं कि लैंडर विक्रम 7 सितंबर को सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing) के वक्त गति तेज होने से गिरकर क्रैश (Crash) हो चुका था.
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सर्दी में खुद को गर्म नहीं रख सकता विक्रम
इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक लैंडर विक्रम को इस तरह डिजाइन और प्रक्षेपित किया गया था कि वह चांद पर दिन के दक्षिणी ध्रुव में दिन (Lunar Day) रहते-रहते अपने सारे काम निपटा ले. 21 सितंबर से चांद की लूनर नाइट (Lunar Night) शुरू हो रही है. यानी चांद पर इस अंधेरे का साम्राज्य अगले 14 दिनों तक बना रहेगा. इस अंधेरे के साथ ही चांद पर तापमान (Temperature) गिरना शुरू हो जाएगा. दक्षिणी घ्रुव पर तो तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस हो जाता है. चूंकि लैंडर विक्रम रेडियोआइसोटोप (Radioisotope Heater) हीटर यूनिट तकनीक से लैस नहीं है. ऐसे में वह लूनर नाइट में खुद को गर्म रखने में सक्षम नहीं रहेगा. इतने कम तापमान में लैंडर विक्रम के कई इलेक्ट्रॉनिक हिस्से खराब हो जाएंगे. इस कारण न सिर्फ इसरो, बल्कि नासा (NASA) भी अपने ऑर्बिटर (Orbitor) से लैंडर विक्रम की एक तस्वीर तक नहीं ले सकेगा.
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7 सितंबर को ही दम तोड़ चुका था विक्रम
इसरो ने चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2)अभियान के तहत लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान (Rover Pragyaan) को खास कामों के लिए डिजाइन किया था. विक्रम का वजन 1,471 किलो तो प्रज्ञान का वजन 27 किलो था. इसरो के विज्ञानियों का मानना है कि विक्रम चांद की सतह से 10 किमी पहले ही अपना नियंत्रण खो चुका था. इसकी वजह बने थे उसके थ्रस्टर्स, जिन्हें ब्रैक (Brakes) का काम करना था, लेकिन उन्होंने एक्सीलेटर (Accelator) का काम किया. नतीजतन लैंडर विक्रम 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चांद की सतह से टकराया. यही नहीं, अगर वह अपने पैरों के बल टकराया होता तो भी उसके शूज (Shoes) शॉक ऑब्जर्वर की भूमिका निभाते, लेकिन वह साइड से सतह पर टकराया. इस धमक की वजह से विक्रम के कंप्यूटर और अन्य उकरण क्षतिग्रस्त हो गए.
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