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पुजारी, समिति या भगवान...मंदिर की प्रोपर्टी का असली हकदार कौन? जानें SC का जवाब

सरकार और अदालत के सामने ऐसे कई केस आ चुके हैं, जिसमें मंदिर की प्रोपर्टी पर पुजारी ने अपना अधिकार जमा लिया हो. ये पुजारी बाद में अपने मर्जी से इस प्रोपर्टी को बेच देते थे.

Updated on: 24 Nov 2021, 10:45 PM

नई दिल्ली:

अक्सर मंदिरों को देख कर हमारे मन में यह ख्याल आता है कि भगवान के घरों पर मालिकाना हक किसका है? क्या मंदिरों की संपत्ति पर मालिकाना हक पुजारी कहा या इसकी देखरेख करने वाली प्रबंधन समिति का? कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने एक फैसले में दिए हैं. आइए आपको बताते हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों के मालिकाना हक को लेकर आखिर क्या कहा?

सोमवार को आए सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले में कहा गया कि मंदिर पर मालिकान हक किसी और कहा नहीं केवल भगवान का होता है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार मंदिर पर मालिकाना हक न पुजारी का होता है और न प्रबंधन समिति का और न ही किसी अन्य व्यक्ति का. अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का हवाला देते हुए कहा कि मंदिर पर केवल भगवान का ही अधिकार होता है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार की उस अधिसूचना को हरी झंडी दे दी, जिसमें कहा गया है कि मंदिर की प्रोपर्टी पर पुजारी का मालिकाना हक नहीं हो सकता.

दरअसल, सरकार और अदालत के सामने ऐसे कई केस आ चुके हैं, जिसमें मंदिर की प्रोपर्टी पर पुजारी ने अपना अधिकार जमा लिया हो. ये पुजारी बाद में अपने मर्जी से इस प्रोपर्टी को बेच देते थे. इस क्रम में मध्य प्रदेश सरकार की ओर से एक ​अधिसूचना जारी की गई, जिसमें कहा गया कि मंदिर की संपत्ति पर पुजारी का मालिकाना हक नहीं हो सकता. केस में सुनवाई करते हुए जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि भू राजस्व के रिकॉर्ड से पुजारियों के नामों को हटाया जाना चाहिए, क्योंकि वो मंदिर की प्रोपर्टी के केवल केयर टेकर हैं.