Devshayani Ekadashi 2019: 12 जुलाई को है देवशयनी एकादशी, बन रहे हैं तीन बड़े संयोग
देशवयनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत रखने से उत्तम फल मिलता है और भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है
नई दिल्ली:
हिंदू धर्म में सबसे उत्तम माने जाने वाला व्रत देवशयनी एकादशी का होता है जो हर साल आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की तिथि को किया जाता है. इस बार ये तिथि 12 जुलाई को पढ़ रही है. इसे पद्मानाभा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और हरिशयानी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.
क्या है इसका महत्व
देशवयनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत रखने से उत्तम फल मिलता है और भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है. पुराणों के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के लिए विश्राम करने क्षीर सागर में चले जाते है. 4 महीने तक भगवान विष्णु के निद्रा की मुद्रा में रहने के कारण विवाह,उपनयन संस्कार, गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं किया जाते है. सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है. इसलिए कहा जाता है कि देवशयन हो गया है. यहां तक साधु भी भ्रमण बंद कर एक जगह बैठ प्रभु की साधना करते हैं. फिर चार महीने बद सूर्य के तुला राशि में प्रवेश करने के बाद भगवान विष्णु एक बार फिर सृष्टि के संचालन को संभाल लेते है.
यह भी पढ़ें: Sawan 2019: जानें कब से शुरू हो रहा है सावन मास, और इस साल क्यों होगा ये खास
देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस साल देवशयनी एकादशी 11 जुलाई को रात 3.08 से 12 जुलाई को राज 1.55 बजे तक रहेगी. वहीं प्रदोष काल शाम साढ़े पांच से साढ़ें रात बजे तक रहेगा.
देवशयनी एकादशी की पूजा विधि
- एकादशी की पूजा की एक रात पहले दशमी से ही नमक का सेवन नहीं करते है.
- पूजा वाले दिन नहा-धोकर भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराते है.
- धूप-दीप फूल आदि के साथ भगवान के मंत्र का उच्चारण करते हैं
यह भी पढ़ें: कांवड़ यात्रा: बाबा बैद्यनाथ धाम में इस बार कांवड़ियों के लिए विशेष इंतजाम
देवशयनी एकादशी पर तीन बड़े संयोग
देवशयनी एकादशी पर इस बार तीन संयोग बन रहे हैं जिसकी वजह से ये बेहद खास हो गई है. पहला सबसे बड़ा संयोग ये हैं कि देवशयनी एकदाशी और देव उठान एकादशी दोनों ही शुक्रवार के दिन पड़ रही हैं. शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है. ऐसे में देवशयनी एकादशी से देवउठान एकादशी तक लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से श्रद्धालुओं को विशेष फल मिलेगा.
इस बार देवशयनी एकादशी पर दूसरा सबसे पड़ा योग सर्वार्थ सिद्धि का बन रहा है जो दोपहर 3 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर अगले दिन सुबह तक रहेगा. ऐसे में अगर आप कोई शुभ कार्य करने चाहते हैं तो इस मुहूर्त में कर सकते हैं. इस एकादशी पर तीसरा संयोग रवि योग का बन रहा है. मान्यता है कि रवि योग के प्रभाव से कई अशुभ योगों का प्रभाव खत्म हो जाता है और सूर्य का आर्शीवाद मिलता है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी