Seven Vows of Marriage: हिंदू धर्म में क्या हैं शादी के सात वचन, जानकर समझ जाएंगे विवाह का बंधन
Shadi Ke 7 Vachan: हिंदू धर्म में शादी का बहुत महत्व है. सात फेरों के साथ जब आप सात वचन लेते हैं तो माना जाता है कि आपका बंधन अगले 7 जन्मों तक अटूट रहेगा. शादी के ये 7 वचन क्या हैं आइए जानते हैं.
नई दिल्ली:
Seven Vows of Marriage: शादी एक बहुत ही पवित्र रिश्ता होता है. इस बंधन में बंधने के लिए हवन कुंड के 7 फेरों के साथ 7 वचन लिए जाते हैं. ये वचन पति और पत्नी को शादी के रिश्ते की खासियतों के बारे में बताते हैं. साथ ही इस रिश्ते को आपको कैसे निभाना है ये भी बताया जाता है. हिंदू धर्म में कई शास्त्रों में शादी के वर्णन मिलता है. अगर आप विवाह करने वाले हैं या फिर विवाह हो चुका है और आप शादी के इन वचनों को दोबारा दोहराना चाहते हैं तो हम आपको इन सातों वचनों उनके अर्थ और उनके महत्व के बारे में बता रहे हैं. हिंदू धर्म में, विवाह संस्कार को एक पवित्र माना जाता है. विवाह के समय, विवाहिता और विवाही के बीच कुछ पवित्र वचन (प्रतिज्ञा) भी बोले जाते हैं, जिन्हें "सप्तपदी" या "सात फेरे" कहा जाता है. ये वचन क्या हैं आइए जानते हैं.
ये हैं हिंदू धर्म में विवाह के सात वचन:
प्रथम वचन (First Vachan):
"ऊं एकामिष्टे प्रेष्ठे समामिष्टे समाहिते।"
इस वचन में, विवाहिता अपने पति को कहती है कि वह उसे पहले, दूसरों के सामर्थ्य में सबसे प्रिय है.
द्वितीय वचन (Second Vachan):
"ऊं द्वे धर्मे द्वे चिरोगे द्वे च पुत्रे द्वे च दारे।"
इस वचन में, विवाहिता अपने पति को यह प्रतिज्ञा करती है कि वह उससे दोहरा कर विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देगी, जैसे धर्म, लाभ, पुत्र, और पतिव्रता भाव.
तृतीय वचन (Third Vachan):
"ऊं त्रीणि व्रतानि रक्षन्ति पूर्वं यो बलेन विधृतानि।"
इस वचन में, विवाहिता अपने पति के साथ तीन प्रमुख व्रतों का पालन करने की प्रतिज्ञा करती है - कामधेनु व्रत, महाव्रत, और गोव्रत.
चतुर्थ वचन (Fourth Vachan):
"ऊं चत्वारि वाचामुखेयानि तन्मां जिन्तु तु रोचय।"
इस वचन में, विवाहिता अपने पति से यह कहती है कि वह चारों दिशाओं से उसे शब्दों में भला कहेगी और उसकी प्रशंसा करेगी.
पंचम वचन (Fifth Vachan):
"ऊं पंच प्राणाः प्रणिष्येयुः पंच प्राणा एव च स्वाहा।"
इस वचन में, विवाहिता अपने पति को शक्तिशाली बनाने का संकल्प लेती है और उसका समर्थन करती है.
षष्ठ वचन (Sixth Vachan):
"ऊं षड्विंशात्स्वाहा।"
इस वचन में, विवाहिता अपने पति के साथ षड्विंशति धर्मों का पालन करने का संकल्प लेती है.
सप्तम वचन (Seventh Vachan):
"ऊं सप्तपदा भवतु भवतु मयि।"
इस वचन में, विवाहिता अपने पति के साथ सात पदों का संग्रहण करती है, जिसे "सप्तपदी" भी कहा जाता है. इससे विवाहिता और विवाही एक-दूसरे के साथ अपने जीवन की यात्रा पर साथी बनते हैं.
इन सात वचनों के माध्यम से, हिंदू धर्म में विवाहिता और विवाही एक-दूसरे के साथ सात जन्मों तक एक दूसरे के साथ संबंध बनाए रखने का संकल्प लेते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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