Sawan 2021: मात्र बेलपत्र से मिट जाएंगे सभी कष्ट और संकट, जानिए कैसे महादेव को करें अर्पित
Sawan 2021: भगवान शिव जल्द प्रसन्न होकर सभ दुखों और संकटों को हर लें, इसलिए लोग उन्हें उनकी पसंदीदा चीजें भी अर्पित करते हैं.
highlights
- शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला ही बेलपत्र अर्पित करें.
- बेलपत्र चढ़ाते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप जरूर करें.
नई दिल्ली:
Sawan 2021: श्रावन मास आते ही मानो सृष्टि का कोना कोना भक्ति की गूंज से भर उठता है. हिंदी पंचांग के अनुसार, इस बार सावन का महीना 25 जुलाई 2021 से शुरू होने वाला है. हर साल की तरह इस साल भी सावन की वही रौनक देखने को मिलेगी. मंदिरों में भव्य और दिव्य आरती व रुद्राभिषेक, घरों में भक्तिमय शिव पूजन और आस पास के वातावरण में 'ॐ नमः शिवाय' की गूंज. जहां एक तरफ भक्तों के लिए सावन महा पर्व है तो वहीं दूसरी तरफ भगवान के लिए प्रिय माह. यही वजह है कि सावन आते ही लोग भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तरह तरह के पूजा विधि विधानों को अपनाते हैं. इतना ही नहीं, भगवान शिव जल्द प्रसन्न होकर सभ दुखों और संकटों को हर लें, इसलिए लोग उन्हें उनकी पसंदीदा चीजें भी अर्पित करते हैं. इन्हीं पसंदीदा चीजों में से एक है बेलपत्र, जो भोले भंडारी शिव को सर्वाधिक प्रिय है.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बिना बेलपत्र चढ़ाये भगवान शिव की पूजा अपूर्ण मानी जाती है. यदि कोई व्यक्ति भगवान् शिव की भव्य पूजा न कर सके तो ऐसे में मात्र बेलपत्र ही वो वस्तु है जो शिवलिंग पर अर्पित करने से उसे महादेव द्वारा मनोवांछित फल का वरदान मिल सकता है. लेकिन ग्रंथों में लिखित कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से पूर्व कुछ नियमों का खास ध्यान बेहद आवश्यक है. क्या हैं वो नियम चलिए जानते हैं.
1. महादेव को या शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला ही बेलपत्र अर्पित करें.
2. बेलपत्र कहीं से कटा –फटा नहीं होना चाहिए.
3. बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसे स्वच्छ जल से धोएं.
4. बेलपत्र अर्पित करने के बाद शिवलिंग या महादेव पर जल जरूर चढ़ाएं
5. बेलपत्र चढ़ाते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप जरूर करें.
बता दें कि, बेलपत्र विष का नाशक माना जाता है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन में निकले विष को भगवान शिव द्वारा पीने के बाद उनका शरीर अत्यधिक गरम हो गया था. तब देवी देवताओं ने विष की गर्मी को शांत करने के लिए शिव शंभू को बेलपत्र खिलाया और पानी से नहलाते रहे. तब जाकर भगवान शिव के कंठ को विष की गर्मी से राहत मिली. तभी से महादेव को बेलपत्र अर्पित करने की प्रथा चली आ रही है.
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