पारस भाई जी ने बताया: सावन माह में सावन शिवरात्रि क्या है महत्व, जानें डेट, शुभ मुहूर्त
पारस भाई ने कहा कि सावन शिवरात्रि के दिन शिव परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन व्रत, उपवास, मंत्र जाप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व है.
highlights
- सावन में भगवान शिवजी की पूजा करने का विशेष महत्व
- हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है
- सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व है
नई दिल्ली:
इस समय सावन(Sawan) का पावन महीना चल रहा है. इस सावन में भगवान शिवजी की पूजा करने का विशेष महत्व है. सावन का पूरा महीना भोलेनाथ को समर्पित है. अगर कोई व्यक्ति सचे मन और विधि-विधान से सावन माह में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करता है तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व है. पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) की जुबानी जानिये सावन शिवरात्रि विशेषता, डेट, पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त...
पारस भाई के अनुसार, शिवरात्रि पूजा का क्या महत्व
पारस भाई ने कहा कि सावन शिवरात्रि के दिन शिव परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन व्रत, उपवास, मंत्र जाप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व है. माना जाता है कि भगवान शिव के साथ इस दिन मां गौरी की पूजा करने से वैवाहिक जीवन की सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. सावन शिवरात्रि का महत्व बहुत अधिक होता है. इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर और माता- पार्वती की पूजा- अर्चना की जाती है.
पारस भाई के अनुसार, सावन शिवरात्रि व्रत की तिथि
शिवरात्रि पूजा अवधि : शुक्रवार, 6 अगस्त 2021 को सिर्फ 43 मिनट तक (निशिता काल पूजा का समय देर रात 12 बजकर 06 मिनट से देर रात 12 बजकर 48 मिनट तक
शिवरात्रि व्रत पारण का समय : शनिवार 7 अगस्त की सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक.
यह भी पढ़ेः भगवान शिव के 10 रुद्रावतार, जानें इनकी दिव्य महिमा
पारस भाई जी ने आगे कहा कि सावन शिवरात्रि का दिन काफी पावन होता है. इस मौके पर भगवान शिव जी को बेलपत्र, गंगाजल, गाय का दूध, भांग, मदार, शमीपत्र, सफेद चंदन, सफेद पुष्प आदि अर्पित करना उत्तम रहता है. माता पार्वती जी की पूजा करते समय उनको अक्षत्, पुष्प, फल, धूप आदि के साथ सुहाग की सामग्री चढ़ानी चाहिए.
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