51 शक्तिपीठ: गुजरात का अंबाजी का मंदिर जहां गिरा था देवी सती का हृदय, बिना मूर्ति होती है पूजा
51 शक्तिपीठों में शामिल सबसे प्रमुख स्थल है अंबाजी मंदिर (Ambaji Temple) . क्योंकि यहां माता सती का दिल या हृदय गिरा था, लेकिन यहां कोई कोई भी प्रतिमा नहीं रखी हुई है
नई दिल्ली:
Navratri Special: 51 शक्तिपीठों में शामिल सबसे प्रमुख स्थल है अंबाजी मंदिर (Ambaji Temple) . क्योंकि यहां माता सती का दिल या हृदय गिरा था, लेकिन यहां कोई कोई भी प्रतिमा नहीं रखी हुई है, बल्कि यहां मौजूद श्री चक्र की पूजा की जाती है. यह मंदिर माता अंबाजी को संर्पित है और गुजरात का सबसे प्रमुख मंदिर है. माउंट आबू से 45 किमी. की दूरी पर अंबा माता का प्राचीन शक्तिपीठ है. यह मंदिर गुजरात और राजस्थान की सीमा पर स्थित है.
शक्तिपीठ बनने की कहानी
शक्तिपीठ की पौराणिक कथा पौराणिक कथा के अनुसार माता दुर्गा ने राजा प्रजापति दक्ष के घर में सती के रूप में जन्म लिया. भगवान शिव से उनका विवाह हुआ. एक बार ऋषि-मुनियों ने यज्ञ आयोजित किया था. जब राजा दक्ष वहां पहुंचे तो महादेव को छोड़कर सभी खड़े हो गए.
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यह देख राजा दक्ष को बहुत क्रोध आया. उन्होंने अपमान का बदला लेने के लिए फिर से यज्ञ का आयोजन किया. इसमें शिव और सती को छोड़कर सभी को आमंत्रित किया. जब माता सती को इस बात का पता चला तो उन्होंने आयोजन में जाने की जिद की. शिवजी के मना करने के बावजूद वो यज्ञ में शामिल होने चली गईं.
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यज्ञ स्थल पर जब माता सती ने पिता दक्ष से शिवजी को न बुलाने का कारण पूछा तो उन्होंने महादेव के लिए अपमानजनक बातें कहीं. इस अपमान से माता सती को इतनी ठेस पहुंची कि उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहूति दे दी. वहीं, जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया.
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उन्होंने सती के पार्थिव शरीर को कंधे पर उठा लिया और पूरे भूमंडल में घूमने लगे. मान्यता है कि जहां-जहां माता सती के शरीर के अंग गिरे, वो शक्तिपीठ बन गया. इस तरह से कुल 51 स्थानों पर शक्तिपीठ का निर्माण हुआ. वहीं, अगले जन्म में माता सती ने हिमालय के घर माता पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिव को पुन: प्राप्त कर लिया.
अंबाजी शक्तिपीठ की विशेषता
- इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1975 में शुरू हुआ था, जो अब तक जारी है.
- सफेद संगमरमर से बना यह भव्य मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.
- इसका शिखर 103 फुट ऊंचा है और उस पर 358 स्वर्ण कलश सुसज्जित हैं.
- मंदिर से लगभग 3 किमी. की दूरी पर गब्बर नामक एक पहाड़ भी है, जहां देवी का एक और प्राचीन मंदिर स्थापित है.
- ऐसा माना जाता है कि इसी पत्थर पर यहां मां के पदचिह्न एवं रथचिह्र बने हैं.
- अंबा जी के दर्शन के बाद, श्रद्धालु गब्बर पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में ज़रूर जाते हैं.
- हर साल भाद्रपदी पूर्णिमा पर यहां मेले जैसा उत्सव होता है.
- नवरात्र के अवसर पर मंदिर में गरबा और भवाई जैसे पारंपरिक नृत्यों का आयोजन किया जाता है.
मंदिर में नहीं है मां की कोई मूरत
- मंदिर तक पहुंचने के लिए 999 चीढ़ियां चढ़नी पड़ती है.
- इस मंदिर में अम्बा की पूजा श्रीयंत्र की अराधना से होती है जिसे सीधे आंखों में देख पाना मुमकिन नहीं.
- नवरात्रि में यहां नौ दिनों तक चलने वाला पर्व बहुत ही खास होता है. जिसमें गरबा करके खास तरह से पूजा-पाठ किया जाता है.
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कैसे पहुंचे
एयरपोर्ट
अंबाजी आने के लिए निकटतम हवाई अड्डा अहमदाबाद का सरदार वल्लभ भाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट है. यह अंबाजी मंदिर (Ambaji Temple) से करीब 186 किलोमीटर दूर है.
रेल
आबू रोड रेलवे स्टेशन यहां से 20 किलोमीटर दूर है. यहां आने के लिए यह निकटतम रेलवे स्टेशन है. यह स्टेशन दिल्ली समेत अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है.
सड़क
अहमदाबाद से सड़क मार्ग से अंबाजी आसानी से पहुंचा जा सकता है. अहमदाबाद यहां से 185 किलोमीटर दूर है. इसके अलावा आबू रोड स्टेशन यहां से 20 किलोमीटर, माउंट आबू 45 किलोमीटर पालनपुर 45 किलोमीटर और दिल्ली 700 किलोमीटर दूर है.
इन शहरों से भी यहां सड़क मार्ग से आया जा सकता है.
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