Guru Purnima 2018: गुरु पूर्णिमा पर चंद्र गहण का पड़ना बनाता है यह खास संयोग
महर्षि वेद व्यास के जन्मदिन पर आज गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है। आज के दिन ही 21 वीं सदी का सबसे बड़ा और साल का आखिरी चंद्रग्रहण पड़ने वाला है।
नई दिल्ली:
महर्षि वेद व्यास के जन्मदिन पर आज गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है। आज के दिन ही 21 वीं सदी का सबसे बड़ा और साल का आखिरी चंद्रग्रहण पड़ने वाला है। यह संयोग आज के दिन और विशेष बना देता है।
सदी के सबसे लंबे ग्रहण को बिना किसी उपकरण के नंगी आंखों से देखा जा सकेगा। इस चंद्र ग्रहण को ब्लड मून भी कहा जा रहा है क्योंकि इस दौरान चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा।
हिंदू मान्यता के अनुसार चंद्रग्रहण के दौरान पूजा-पाठ नहीं किया जाता है। ऐसे में अगर आप गुरु पूर्णिमा की पूजा करने की योजना बना रहे हैं, तो आप इसे 2 बजे से पहले कर सकते हैं।
ग्रहण का समय 27 जुलाई की रात 11.54 बजे से 28 जुलाई की सुबह 3.54 बजे तक है। इस अवधि में चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से घिरा रहेगा।
चंद्रग्रहण और गुरुपूर्णिमा का संयोग 104 साल बाद हुआ है। ऐसे में यह एक विशेष दृश्य होने वाला है क्योंकि यह सदी का सबसे बड़ा ग्रहण है।
क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व?
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा का विधान है। कहते हैं कि गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है। इसीलिए इन्हें भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया जाता है। गुरुकुल में रहने वाले विद्यार्थी इस दिन अपने गुरु की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर घर के मंदिर में चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं। इसके बाद 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये' मंत्र का उच्चारण करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन खीर का प्रसाद वितरण करना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसे में खीर बनाकर आपको परिवार के साथ खानी चाहिए।
इसे भी पढ़ें: 27 जुलाई को पड़ेगा 21वीं सदी का सबसे बड़ा चंद्र गहण, पृथ्वी के करीब पहुंचेगा मगंल
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