Chaitra Navratri Day 6: मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए करें इन मंत्रों का जाप, आपकी मनोकामनाएं नवरात्रि में ही होंगी पूरी
Chaitra Navratri Day 6: आज छठे दिन नवरात्रि में मां कात्यायनी की पूजा करें और उनसे ज्ञान, विद्या, और सफलता की कामना करें. उनके आशीर्वाद से विवाह और जीवन में समृद्धि मिले.
नई दिल्ली:
Chaitra Navratri Day 6: मां कात्यायनी, नवरात्रि के छठे दिन की देवी हैं. उनका नाम कात्यायन शब्द से आया है, जिसका अर्थ है ऋषि कत की पुत्री. देवी कात्यायनी को देवी दुर्गा का तेजस्वी स्वरूप माना जाता है. मां कात्यायनी को शक्ति और ज्ञान की देवी माना जाता है. उनका पूजन करने से ज्ञान, बुद्धि, विद्या और सफलता प्राप्त होती है. मां कात्यायनी अविवाहित कन्याओं के लिए भी विशेष रूप से पूजनीय हैं. उनका पूजन करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. मां कात्यायनी नवरात्रि के छठे दिन उनकी पूजा कर आप उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:45 बजे से 12:30 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 बजे से 3:15 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:00 बजे से 5:30 बजे तक
पूजा विधि
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. एक चौकी या वेदी स्थापित करें और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. वेदी पर माँ कात्यायनी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. एक तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उसे वेदी पर रखें. कलश में नारियल, सुपारी, लौंग, इलायची, सिक्का आदि रखें. घी या तेल का दीपक जलाएं और धूप जलाएं. माँ कात्यायनी को लाल रंग के फूल, फल और मिठाई अर्पित करें. नवग्रहों की पूजा करें और उनसे ग्रहों से शुभ फल प्राप्ति की प्रार्थना करें. माँ कात्यायनी की आरती गाएं या आरती का श्रवण करें. मां कात्यायनी की स्तुति और मंत्र का जाप करें.
मां कात्यायनी के कुछ मंत्र:
ॐ कात्यायनी देव्याय नमः
ॐ कत्यूर्याय विद्यामहे कृष्णपिंगलानु रूपिण्यै. नमो नमो नमः.
ॐ जयंती मंगलकाम्ये शिवदायिन्यै च. कात्यायनी नमस्कारः.
दसवां नाम: या देवी सर्वभूतेषु कात्यायनी रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.
मां कात्यायनी की कथा
एक बार ऋषि कत ने अपनी पुत्री प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी पार्वती ने उन्हें पुत्री होने का वरदान दिया. ऋषि कत की पुत्री का नाम कात्यायनी रखा गया. जब देवी कात्यायनी युवा हुईं, तो उन्होंने भगवान शिव को अपना पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया और वे देवी कात्यायनी के पति बने.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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