Chaitra Navratri 2020: कल से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि, जानें पूजा-विधि और सामाग्री
साल में दो बार नवरात्र आते हैं लेकिन दोनों ही नवरात्र का महत्व और पूजा विधि अलग-अलग है, जानिए नवरात्रि पूजा सामग्री एवं विधि.
नई दिल्ली:
दुनिया भर में कोरोना के कहर के बीच 25 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत रही है. हिंदू धर्म में नवरात्रि का खासा महत्व होता है लेकिन इस साल इसपर महामारी कोरोना का ग्रहण लगा हुआ है. लेकिन लोगों की आस्था को आज तक किसी भी तरह की मुसीबत कम नहीं कर पाई है और न उनकी भक्ति को हिला पाई है. कोरोनावायरस के कारण मंदिर और बाजारों में नवरात्रि की रौनक गायब हो सकती है लेकिन देवी दुर्गा के भक्त अपने घरों में विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं.
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हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से शुरू होकर 2 अप्रैल तक रहेंगे. इस बार पूरे नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाएगी. आपको बता दें कि साल में दो बार नवरात्र आते हैं लेकिन दोनों ही नवरात्र का महत्व और पूजा विधि अलग-अलग है, जानिए नवरात्रि पूजा सामग्री एवं विधि.
नवरात्रि कलश स्थापना के लिए सामग्री (Navratri Kalash Sthapana)
- चावल, सुपारी, रोली, जौ, सुगन्धित पुष्प, केसर
- सिन्दूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, दूध
- दही, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, वस्त्र, आभूषण
- यज्ञोपवीत, मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, दूर्वा, इत्र
- चन्दन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप, दीप, फूल, स्वच्छ मिट्टी
- थाली, जल, ताम्र कलश, रूई, नारियल आदि.
नवरात्रि पूजा विधि (Navaratri Poojan Vidhi)
- मां दुर्गा का चित्र स्थापित करें एवं पूर्वमुखी होकर मां दुर्गा की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं
- फिर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर चावल के नौ कोष्ठक, नवग्रह एवं लाल वस्त्र पर गेहूं के सोलह कोष्ठक बनाएं
- एक मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक बनाकर उसके नीचे गेहूं अथवा चावल डाल कर रखें.
- उसके बाद उस पर नारियल रखें, उसके बाद तेल का दीपक एवं शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करें.
- मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर हल्का सा गीला करके उसमें जौ के दाने डालें, उसे चौकी के बाईं तरफ कलश के पास स्थापित करें.
नवरात्रि व्रत करने कि विधि-
- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्प लें.
- पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
- दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं.
- शाम के समय मां की आरती उतारें.
- सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.
- फिर भोजन ग्रहण करें.
- हो सके तो इस दौरान अन्न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
- अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं. उन्हें उपहार और दक्षिणा दें.
- अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.
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