Baba Khatu Shyam: कौन हैं हारे को सहारा देने वाले बाबा खाटू श्याम, जानें इनकी पूरी कहानी
Baba Khatu Shyam: श्री खाटूश्याम जी भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार है. राजस्थान के सीकर जिले में श्री खाटू श्याम जी का भव्य मंदिर स्थापित है. यहां दूर-दूर से लोग उन्हें देखने आते हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा.
नई दिल्ली:
Baba Khatu Shyam: बाबा खाटू श्याम हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध और पूज्य देवता हैं. खाटू श्याम के मंदिर राजस्थान के खाटू गाँव में स्थित हैं, जहाँ भक्त उनकी पूजा और अर्चना करते हैं. खाटू श्याम को अधिकतर कृष्ण भक्त भारत में पूजते हैं, और उन्हें उनके निष्काम भक्ति और कृपा के लिए प्रस्तुत किया जाता है. खाटू श्याम के मंदिर में उन्हें मधुराष्टकम, आरती, और भजनों की आराधना की जाती है, और भक्तों को श्रद्धा और आनंद का अनुभव होता है. बाबा खाटू श्याम, जिन्हें श्याम बाबा और कालीचरण के नाम से भी जाना जाता है, भगवान कृष्ण का एक अवतार हैं. वे राजस्थान के सीकर जिले के खाटू में स्थित श्री खाटू श्याम मंदिर में विराजमान हैं.
बाबा खाटू श्याम की कथा
बाबा खाटू श्याम का जन्म द्वापर युग में हुआ था. वे पांडव राजकुमार भीम और द्रौपदी के पुत्र घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक थे. महाभारत युद्ध में कौरवों और पांडवों दोनों पक्षों ने बर्बरीक को अपनी ओर से युद्ध में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया. बर्बरीक ने दोनों पक्षों को मना कर दिया और कहा कि वह उस पक्ष का साथ देगा जो युद्ध में हार रहा होगा. कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरू हुआ और कौरव हारने लगे. बर्बरीक ने कौरवों की ओर से युद्ध में शामिल होने का फैसला किया. पांडवों को बर्बरीक की शक्ति का पता था और वे जानते थे कि यदि बर्बरीक युद्ध में शामिल होता है तो वे युद्ध हार जाएंगे. अर्जुन, भीम और दुर्योधन ने बर्बरीक को युद्ध से दूर रहने के लिए कहा. बर्बरीक ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया. श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को युद्ध से दूर रहने के लिए मनाने का प्रयास किया, लेकिन बर्बरीक ने अपनी बात पर अड़ी रही. श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि अगर वह युद्ध में शामिल होता है तो उसे मृत्यु का सामना करना पड़ेगा. बर्बरीक ने श्रीकृष्ण से कहा कि वह मृत्यु से नहीं डरता और वह युद्ध में शामिल होने के लिए दृढ़ है. श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से बर्बरीक का शीश काट दिया. बर्बरीक की मृत्यु के बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि वह कलियुग में श्याम बाबा के नाम से जाना जाएगा और लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण करेगा. बाबा खाटू श्याम आज भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं. उनके दर्शन के लिए लाखों भक्त हर साल खाटू श्याम मंदिर जाते हैं.
बाबा खाटू श्याम की पूजा
बाबा खाटू श्याम की पूजा बहुत ही सरल है. उन्हें फूल, फल, मिठाई और चंदन अर्पित किया जाता है. बाबा खाटू श्याम की पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण है और उन्हें भक्ति और आदर से की जाती है. खाटू श्याम की पूजा में विशेष ध्यान देवता के मंदिर में जाकर किया जाता है. पूजा के समय, भक्त उनके मंदिर में पहुंचते हैं और उनकी मूर्ति के सामने विधिवत पूजा करते हैं. खाटू श्याम की पूजा में भक्त उन्हें अलंकृत करते हैं, उनके चारणों को प्रणाम करते हैं और मंगलारति और भजनों के माध्यम से उनकी महिमा गाते हैं. धूप, दीप, फल, फूल आदि से भोग अर्पित किया जाता है. पूजा के बाद, प्रसाद वितरित किया जाता है और भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है. खाटू श्याम की पूजा को समर्पित करने से भक्तों को आनंद, शांति, और आत्मा का प्रकाश मिलता है. यह पूजा भक्तों को उनके अभिप्रायों को पूर्ण करने में सहायक होती है और उन्हें धार्मिक उन्नति की प्राप्ति में मदद करती है.
बाबा खाटू श्याम के चमत्कार:
बाबा खाटू श्याम अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं. वे अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
बाबा खाटू श्याम के भजन:
बाबा खाटू श्याम के कई भजन हैं जो बहुत ही लोकप्रिय हैं. इन भजनों को सुनकर भक्तों का मन प्रसन्न हो जाता है. बाबा खाटू श्याम के भजन भक्तों को उनके निष्काम भक्ति और प्रेम में लीन करते हैं. ये भजन उनके भक्तों के द्वारा उनकी पूजा-अर्चना में प्रयोग किए जाते हैं और उन्हें खुशी और आनंद का अनुभव कराते हैं. यहाँ कुछ प्रसिद्ध बाबा खाटू श्याम के भजन हैं:
- श्याम तेरे भरोसे नैन भरे
- मेरे श्याम बाबा का दरबार
- रंग दे मोहना
- श्याम तेरे भरोसे नैन हमारे
- आजा रे मेरे श्याम सावरे
- बाबा तेरे चरणों में
- बाबा तेरे प्यार में
- श्याम सुंदर काँवरिया
- श्याम तेरी बंसी का
- श्यामा तेरे चरणों में
ये भजन भक्तों को भावनात्मक रूप से प्रेरित करते हैं और उन्हें खाटू श्याम की भक्ति में लीन करते हैं. बाबा खाटू श्याम की आरती भी बहुत ही लोकप्रिय है. आरती करके भक्त बाबा श्याम की स्तुति करते हैं. उनके दर्शन करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु खाटू श्याम मंदिर आते हैं. दर्शन करने के लिए सुबह जल्दी उठकर मंदिर जाना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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