पिछले 2 सालों से पानी की भारी किल्लत से जूझ रहा है ये गांव, गहरी नींद में प्रशासन
पानी की भारी किल्लत की वजह से इस गांव में अब तक 300 से ज्यादा पशुओं की मौत हो गई है
नई दिल्ली:
चिलचिलाती धूप, लू, और भीषण गर्मी से लगातार आ रहा पसीना. फिर अचानक आपको इतनी प्यास लगती है की गला सूख गया हो. आप बोतल निकालते हैं लेकिन उसमें पानी की एक बूंद नहीं. इस परिस्थिति की कल्पना करने से भी बदन सिहर उठता है लेकिन देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हर रोज इसी परिस्थिति का सामना करते हैं. राजस्थान के जोधपुर के गांव में रहने वाले लोग पिछले 2 साल से पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं. गांव का नाम है जाजीवाल. यहां हालात इतने खराब हो चुके हैं लोग कुंआ खोदकर प्यास बुझाने को मजबूर हो गए हैं. इस गांव में 400 से 500 परिवार रहते हैं जो हर रोज पानी के लिए जंग लड़ते हैं. गांववालों का कहना है कि प्रशासन हमसे वादे तो करता है लेकिन फिर कुछ नहीं करता. पानी की भारी किल्लत की वजह से इस गांव में 300 से ज्यादा पशुओं की मौत हो गई है. गांव के लोग इतने गरीब हैं कि लोग पानी का टैंकर भी नहीं ले सकते.
Jodhpur: Severe water crisis in Jajiwal village; locals say, "administration assures us but does nothing. There are 400-500 families & we're facing this crisis since past 2 years. Over 300 animals have also died due to this. Poor people can't afford tankers". #Rajasthan pic.twitter.com/zpM2aUGCS7
— ANI (@ANI) June 3, 2019
रणथम्भौर में भी जल संकट
ऐसा ही कुछ हाल राजस्थान के रणथम्भौर नेशनल पार्क का भी है, जहां भारी जल संकट की वजह से वन्य जीवों को पानी के लिये भटकना पड़ रहा है. भीषण गर्मी के कारण पार्क क्षैत्र के अधिकतर प्राकृतिक जल स्रोत सुख गये हैं और कुछ
सुखने के कगार पर हैं. पेयजल की आस में वन्यजीवों का रुख अब आबादी क्षैत्रों की ओर होने लगा है. वहीं जगलात महकमें द्वारा किये जा रहे पेयजल इन्तजामात नाकाफी साबित हो रहे हैं.
रणथम्भौर नेशनल पार्क को 10 जोन में विभाजीत किया हुआ है. जिनमें से महज 3 और 4 नम्बर जोन में ही वन्यजीवों के लिये झीलों में पानी बचा है. इसके अलावा आठ जोन में विचरण करनें वाले जंगल के वन्यजीव पेयजल समस्या से बुरी तरह त्रस्त है. वन विभाग द्वारा किये गये दावें के अनुसार 50 वाटर हॉल में वन्यजीवों की प्यास बुझानें के लिये पेयजल के इन्तजाम किये जा रहे है. लेकिन धरातलिय रुप में ये इन्तजाम नाकाफी साबित हो रहे है. जंगल में भुख और प्यास से वन्यजीवों की मौत भी होने लगी है. जिस पर वन विभाग ने पर्दा डाल रखा है . वहीं यह सिलसिला अभी लगातार जारी है.
पर्यटकों की संख्या में आई कमी
रणम्भौर में सुखते जल स्रोत के कारण पेयजल की कमी ऊपर से भीषण गर्मी के जोर ने जंगल की हरीयाली को भी पुरी तरह से निगल लिया है. भीषण गर्मी के चलते पार्क भ्रमण पर जानें वाले पर्यटकों की सख्या में भी रिर्कोड तोड़ गिरावट दर्ज की जा रही है. सुरज की तपिश के कारण पर्यटकों को यदाकदा ही बाघों के दिदार हो पा रहे है. विकट हालातों में वन्यजीवों को अपना जीवन बचानें के लिये भी कठीन मश्कत करनी पड़ रही है. वहीं वन विभाग कोरी खानापुर्ति में लगा हुआ है. आगामी जुलाई अगस्त माह तक आसमान में बादल मंडराएंगें और आसमान से जब तक बारिश के रुप में अमिृत की बरसा नही होगी तब तक हालात सुधरनें की उम्मिद नहीं की जा सकती .
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