logo-image

Amritsar grenade attack: अमृतसर ग्रेनेड हमले में पाकिस्तान का हाथ, सीएम अमरिंदर सिंह ने किया दावा

पंजाब के अमृतसर जिले के राजसांसी इलाके में रविवार को निरंकारी सत्संग पर ग्रेनड से हुए हमले मे कुछ अहम सुराग मिले हैं. मोटरसाइकिल पर आए दो युवकों द्वारा जिले के अदलीवाल गांव स्थित निरंकारी भवन पर रविवार को हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ सामने आया है.

Updated on: 21 Nov 2018, 01:10 PM

चंडीगढ़:

पंजाब के अमृतसर जिले के राजसांसी इलाके में रविवार को निरंकारी सत्संग पर ग्रेनेड से हुए हमले मे कुछ अहम सुराग मिले हैं. मोटरसाइकिल पर आए दो युवकों द्वारा जिले के अदलीवाल गांव स्थित निरंकारी भवन पर रविवार को हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ सामने आया है. पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने सोमवार को एक बयान में कहा कि "हमले में पाकिस्‍तान आर्मी के ऑर्डिनेंस फैक्टरी के ग्रेनेड का इस्‍तेमाल हुआ है". सीएम ने कहा अमृतसर जिले के अदलीवाल गांव में रविवार को निरंकारी भवन में ग्रेनेड से हुआ हमला आतंकियों की साजिश थी. वहीं पंजाब सरकार ने हमलावरों के बारे में जानकारी देने के लिए जानकारी देने वाले को 50 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा भी की है. इसके साथ ही पुलिस ने सीसीटीवी में कैद हमलावरों की तस्‍वीरें भी जारी की है.

यह भी पढ़ें - अमृतसर में बम ब्लास्ट : पंजाब सरकार ने हमलावरों पर 50 लाख इनाम का किया ऐलान

पंजाब पुलिस ने ऐसा ही एक ग्रेनेड HG-84 पिछले महीने बरामद किया जिसका पाकिस्तानी आर्मी इस्तेमाल करती है. हालांकि इस हमले में अलकायदा और आईएसआई कनेक्शन की आशंकाओं की भी पड़ताल की जा रही है. फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस मामले की जांच अपने हाथों में ले ली है. इसके साथ ही सीएम अमरिंदर सिंह ने कहा कि साफ तौर पर यह घटना एक आतंकी हमला है. उन्होंने कहा कि लोग इसे 1978 में निरंकारी और सिख समुदाय के बीच हुई हिंसक घटना से जोड़ कर न देखें. सीएम अमरिंदर सिंह ने अपनी बात पर जोर देते हए कहा कि यह शांति भंग करने की आतंकी साजिश है इसमें कहीं से भी कोई धार्मिक एंगल न जोड़े. जांच ऐजेंसियों के मुताबिक खालिस्तानी और कश्मीरी आतंकवादी पंजाब में शाति व्यवस्था को भंग करके हिंसा को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.

गौरतलब है कि पंजाब सीएम ने 1978 का जिक्र इस लिए किया क्योंकि13 अप्रैल 1978 को अमृतसर में ही निरंकारी मिशन के एक कार्यक्रम के दौरान निरंकारियों और सिखों के बीच हुई हिंसक झड़प में 16 लोग (3 निरंकारी, 13 सिख) मारे गए थे. इस घटना के बाद अकाल तख्त ने हुकमनामा जारी कर निरंकारियों को सिख धर्म से बाहर कर दिया, लेकिन हिंसा का यह दौर यहीं नहीं थमा. इस बीच सिखों ने प्रतिशोध लेने के लिए रणजीत सिंह नाम के एक कार्यकर्ता के नेतृत्व में 24 अप्रैल 1980 को निरंकारी गुरु गुरबचन सिंह की हत्या कर दी. इन दोनों हिंसाओं में आरोप भिंडारवाले पर लगे और उसके समर्थकों पर कई मुकदमे दर्ज हुए थे. इसके बाद पंजाब में आतंकवाद का खूनी दौर शुरू हो गया था.