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ये है दुनिया का सबसे अद्भुत रेगिस्तान, जिसमें सुनाई देता है रहस्यमयी संगीत

दुनिया के हर रेगिस्तान में कोई न कोई रहस्य देखने को मिल ही जाएगा. आज हम आपको मोरक्को के रेगिस्तान के एक ऐसे ही रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं. जो संगीत के रूप में लोगों को सुनाई देता है.

Updated on: 05 Jul 2023, 02:32 PM

New Delhi:

रेगिस्तान में दिन के वक्त जहां झुलसा देने वाली गर्मी होती है तो वहीं रात के वक्त हाड जमा देने वाली ठंड. दुनिया के रेगिस्तान में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे रेगिस्तान के बारे में बताने जा रहे हैं जो इनसे भी अलग है. क्योंकि इस रेगिस्तान में एक रहस्यमयी संगीत सुनाई देता है. जिसे लोग भूतिया संगीत के नाम से जानते हैं. इस संगीत का रहस्य क्या है इसके बारे में कोई सटीक जानकारी हासिल नहीं कर पाया.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं उत्तरी अफ्रीका महाद्वीप के मोरक्को के बारे में. दरअसल, ये रहस्यमयी संगीत मोरक्को के रेगिस्तान में सुनाई देता है. जहां आज-कल से नहीं बल्कि सदियों से इस तरह का रहस्यमयी संगीत सुनाई देता है. ये संगीत कभी ड्रम तो कभी गिटार की धुन के जैसा होता है. तो कई बार वायलिन या अन्य वाद्ययंत्रों की आवाज भी सुनाई देती है.

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इस रेगिस्तानी में आपको दूर-दूर तक लोगों का नामोनिशान दिखाई नहीं देगा. बावजूद इसके इस रहस्यमयी संगीत तो कोई भी सुन सकता है. इसी वजह से लोग इस संगीत को रहस्यमयी और भूतिया संगीत मानते हैं. इस संगीत को सुनकर हर कोई आश्चर्य में पड़ जाता है. जब कोई इस रेगिस्तान से गुजरता है तो उसे ये संगीत सुनाई देता है. तो ये लोग कहते हैं कि ये भूत-प्रेत हो जो यहां से गुजरने वाले लोगों को डराते हैं. ये सिलसिया सैकड़ों दशकों से मोरक्को के रेगिस्तान में चलता आ रहा है. लेकिन आज तक कोई इसकी सही वजह नहीं जान पाया.

13वीं शताब्दी में जब यात्री मार्को पोलो पहली बार चीन पहुंचे थे तो उन्होंने वहां के रेगिस्तानी इलाकों में भी इसी तरह के संगीत की धुनें सुनी थी. मार्को पोलो को भी लगा ये आत्माएं हो सकती हैं. जो रेगिस्तान में भटकती रहती हैं. लेकिन ये रहस्य आज भी है कि एक जैसी आवाजें हजारों किलोमीटर की दूर पर मौजूद दो रेगिस्तानों में हजारों साल बाद सुनी जाती है.

ये है रहस्यमयी संगीत को लेकर वैज्ञानिकों की राय

रेगिस्तान में सुनाई देने वाले संगीत को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है. लैब में लंबे समय तक हुए परीक्षणों के बाद पता चला कि रेगिस्तान में बने रेत के टीलों के नीचे जब रेत खिसकती है. तो उसके वाइब्रेशन से ये संगीत पैदा होता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके लिए रेत के कणों का आकार भी जिम्मेदार है. कणों का आकार और रेत के खिसकने की गति के चलते संगीत की धुन निकलती है. ऐसा कहा जाता है कि रेगिस्तान में जब तेज हवा चलती है तो रेत के खिसकने से प्रक्रियाएं वातावरण में संगीत की ध्वनि के रूप में फैलने लगती हैं.

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