प्यार में खलल डालता मोबाइल! पति-पत्नी में झगड़े की 22 फीसदी वजह बना
मोबाइल जो आज हर इंसान की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है. मोबाइल के बिना अब लोगों को जिंदगी अधूरी सी लगती है. लेकिन आज यही मोबाइल दिलों में दूरियां पैदा कर रहा है. सात जन्मो तक बंधन में बंधे रहने की कसम खाने वाले मोबाइल के कारण 7 महीनों में ही दूर
जबलपुर:
मोबाइल जो आज हर इंसान की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है. मोबाइल के बिना अब लोगों को जिंदगी अधूरी सी लगती है. कभी मोबाइल लोगों की दूरियों को कम करने का एक अहम जरिया हुआ करता था, लेकिन आज यही मोबाइल दिलों में दूरियां पैदा कर रहा है. सात जन्मों तक बंधन में बंधे रहने की कसम खाने वाले मोबाइल के कारण 7 महीनों में ही दूर हो रहे हैं. एक जमाना था जब लोग खत से ही रिश्ते मजबूत हुआ करते थे. एक खत को पहुंचने में महीनों या फिर हफ्तों तो लगते थे. आज तकनीक बदली तो खत ने मोबाइल का रूप ले लिया.
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मोबाइल ने लोगों की जिंदगी को बेहद आसान बना भी बनाया. आज हजारों किलोमीटर की दूरियां मोबाइल ने चंद पलों में ही पूरी कर ली हैं. रिश्ते और भी करीब आ गए हैं. लेकिन आज यही मोबाइल रिश्तों में खटास पैदा करने का भी मुख्य कारण बन गया है. पवित्र अग्नि के सात फेरे लेकर सात जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाने वाले पति-पत्नी के बीच आज मोबाइल दीवार बनकर खड़ा हो गया है. हालात यह बन गए हैं कि शादी के पहले घंटों मोबाइल पर बात करने वाले युवक-युवती शादी के बाद मोबाइल के ही कारण एक दूसरे पर शक कर रहे हैं और नौबत अदालत तक पहुंच रही है. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह वह आंकड़े कह रहे हैं जो परिवार परामर्श केंद्र तक पहुंचे हैं.
अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो जबलपुर जिले में ही साल 2019 में पति पत्नी के विवाद के तकरीबन 38 फीसदी मामले परिवार परामर्श केंद्र पहुंचे और इनमें से 24 फीसदी मामले तो ऐसे थे जिसमें शादी के महज 6 महीनों बाद ही पति पत्नी अलग होने की मंशा से परिवार परामर्श केंद्र में आए. परिवार परामर्श केंद्र के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पति-पत्नी के बीच विवाद की एक बड़ी वजह है मोबाइल भी है तकरीबन 22 फीसदी मामलों में यह बात सामने आई है कि पति पत्नी के बीच मोबाइल की वजह से ही विवाद शुरू हुआ है.
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यदि हम बीते 5 सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो परिवार परामर्श केंद्र में 26 हजार मामले आए, जिनमें से 16 हजार मामलों में विवाद का कारण मोबाइल निकला. यह आंकड़े वाकई हैरान करने वाले हैं. परिवार परामर्श केंद्र के सदस्य बताते हैं कि जब उनके पास ऐसे मामले आते हैं तब वह पति और पत्नी दोनों को समझाते हैं, लेकिन कई बार तो उन्हें यह सुनने मिलता है कि पति पत्नी को छोड़ देगा, लेकिन मोबाइल नहीं छोड़ेगा. तो पत्नी बोलती है कि वह पति को छोड़ने के लिए तैयार है, लेकिन मोबाइल उसके लिए पति से ज्यादा जरूरी है. अब ऐसे में पति-पत्नी के बीच विवाद को खत्म कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.
टेक्नोलॉजी में बहुत तेज गति से परिवर्तन आ रहा है. यह टेक्नोलॉजी हम अपनाए जरूर, लेकिन इससे हमारा जीवन प्रभावित नहीं होना चाहिए. एक परिवार को बसाने के लिए कई रिश्तों की भूमिका होती है. लेकिन उसी परिवार को बिखरने के लिए शक की एक चिंगारी ही काफी है. जरूरी है कि एक दूसरे को समझ कर चलने की ताकि हम परिवार के साथ साथ समाज को भी एक अच्छा संदेश दे सकें.
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