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दामाद को नौकर समझते हैं इस जनजाति के लोग, शादी से पहले दूल्हे को करना पड़ता है ये काम

Gond Tribe Culture: हमारा देश जितना विशाल है यहां उतनी ही संस्कृतियां और समुदाय पाए जाते हैं. हर समुदाय की अपने रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं. आज हम आपको एक ऐसे समुदाय के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने दामाद को किसी नौकर की तरह से समझता है.

Updated on: 08 Oct 2023, 12:07 PM

New Delhi:

Gond Tribe Culture: हमारे देश में दामाद को सबसे ज्यादा इज्जत दी जाती है. जब भी दामाद घर आता है तो पूरा ससुराल उसकी खातिरदारी में लग जाता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे समुदाय के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसमें दामाद को किसी नौकर की तरह समझा जाता है और उसके काम कराया जाता है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं गोंड जनजाति की बारे में. जहां शादी से पहले दूल्हे को किसी नौकर की तरह ही काम करना पड़ता है. उसके बाद ही उसकी शादी होती है. गोंड आदिवासी मध्य प्रदेश के बैतूल, होशंगाबाद, सागर, दमोह, रायसेन, बालाघाट, मंडला, खंडवा, शहडोल के अलावा छत्तीसगढ़ में भी पाई जाती है.

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बहुत पुरानी है ये जनजाति

ये जनजाति पांचवीं और छठी शताब्दी के करीब दक्षिण के गोदावरी तट के किनारे-किनारे से होते हुए मध्य भारत तक पहुंची थी. गोंड को आस्ट्रोलायट नस्ल और द्रविड़ परिवार की जनजाति माना जाता है. जो मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है. वहीं मध्य प्रदेश की अनुसूची में इस जनजाति की 50 से भी अधिक उपशाखाएं दी गई है. बता दें कि गोंड जनजाति का इतिहास काफी समृद्ध और सम्पन्न रहा है. 15वीं से 17वीं शताब्दी तक गोंडवाना में अनेक गोंड राजवंशों ने शासन किया. गोंड जाति का संबंध सिन्धु घाटी सभ्यता से माना जाता है.

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गोंड संस्कृति और रीति रिवाज

गोंड जनजाति के लोग आज भी पुरानी परंपराओं को मानते हैं. इसीलिए वह जन्म से लेकर मृत्य तक अपनी ही परंपरा के मुताबिक चलते हैं. इस जनजाति में भी स्त्री और पुरुष दोनों को बराबर का दर्ज मिला हुआ है. यहां पर्दा प्रथा का कोई काम नहीं है इसीलि गोंड जनजाति की लड़कियां अपना जीवनसाथी खुद चुनती हैं. यहां महिलाओं का बहुत सम्मान किया जाता है. गोंड परिवारों में विवाह की अलग-अलग प्रथाएं हैं. काफी रोचक होती हैं.

गोंड जनजाति के लोग लमसेना विवाह करते हैं. जिसमें युवक को एक निश्चित समय तक अपने ससुर के खेत में नौकरों की तरह ही काम करना पड़ता है. उसके बाद ही उसे विवाह की इजाजत दी जाती है. उस दौरान होने वाले दूल्हे तो अपने होने वाले ससुर के सामने ये साबित करना होता है कि वह शादी के बाद उनकी बेटी को ठीक से रख पाएगा और उसके लिए कुछ भी कर सकता है.

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नृत्य एवं गीत-संगीत के शौकीन

गोंड जनजाति के लोग शिकार पर जीवित रहते हैं. इनके भोजन में मांस-मछली का पहला स्थान होता है. जहां महिलाएं साड़ी पहनती हैं तो वहीं मर्द धोती और गंजी. इस समुदाय की संस्कृति की असली झलक विवाह समारोहों में देखने को मिलती है. शादी की हर रस्म और आयोजन के अलग-अलग गीत होते हैं यही नहीं हर गीत का गूढ़ अर्थ और मतलब होता है. इन गीतों को महिलाएं खूब उत्साह में गाती हैं. दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद गोंड जनजाति के लिए गीत संगीत की स्वर लहरियों के साथ अपनी थकान को उतारते हैं. करमा गोंडों का मुख्य नृत्य कहलाता है. वहीं पुरुष सैला नृत्य करते हैं. इस दौरान वह सिर के साफे में मोर पंख लगाते हैं और हाथ में डंडा या फारसा लेकर नृत्य करते हैं.