वर्जिनिटी पाने के लिए हो रही बुकिंग, एक माह में करीब पांच हजार महिलाओं के कॉल आए
एक समय था जब वर्जिनिटी जैसे शब्द को बोलने में भी शर्म आती थी. मगर आज के दौर में वर्जिनिटी को लेकर खुलकर बात होती है. बिहार में पहली बार वर्जिनिटी सर्जरी की शुरूआत होने वाली है. इसे लेकर अभी से रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो चुके हैं.
नई दिल्ली:
एक समय था जब वर्जिनिटी जैसे शब्द को बोलने में भी शर्म आती थी. मगर आज के दौर में वर्जिनिटी को लेकर खुलकर बात होती है. बिहार में पहली बार वर्जिनिटी सर्जरी की शुरूआत होने वाली है. इसे लेकर अभी से रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो चुके हैं. अब तक 150 युवतियों और महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है. एक माह के अंदर करीब पांच हजार से अधिक युवतियों और महिलाओं ने अस्पताल से वर्जिनिटी सर्जरी और उससे जुड़े इलाज के लिए संपर्क साधा है. अभी तक सर्जरी आरंभ नहीं हुई है. ग्राहकों को नौ महीने तक की वेटिंग दी जा रही है.
वर्जिनिटी सर्जरी क्या होती है
महिला के प्राइवेट पार्ट में हाइमन नाम की एक पतली झिल्ली होती है. यह झिल्ली फिजिकल रिलेशन बनाने के दौरान या स्पोर्ट्स एक्टिविटी के कारण डमैज हो जाती है. पुरुष शादी के बाद हाइमन को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं. उसके न होने पर वह सवाल खड़े करते हैं. ऐसे में सर्जरी की व्यवस्था तैयार की गई है. इस तरह से वर्जिनिटी वापस लाई जा सकती है. सर्जरी दो तरह से होती. इसमें लेजर गन का भी उपयोग किया जाता है. दोनों तरीके से फीमेल की वजाइना में हाइमन को रिपेयर करा जाता है. सर्जरी होने के बाद हाइमन की लेयर वापस आ जाती है. इंटरकोर्स के बाद इससे ब्लड आता है. इसे 'वर्जिनिटी सर्जरी' भी कहा जाता है. इस तरह की सर्जरी को हाईमेनोप्लास्टी के नाम से जाना जाता है.
वापस अपनी कौमार्य अवस्था में आ जाएं
रजिस्ट्रेशन कराने वालों में युवतियां ज्यादा सामने आ रही हैं. इनका किन्हीं कारणों से हाइमन टूट गया. ऐसी लड़कियों को डर होता है कि कहीं शादी के बाद वर्जिनिटी को लेकर वह सवालों के घेरे में न आ जाए. ऐसी बहुत सारी महिलाएं भी सामने आई हैं, जिनकी शादी हो गई, लेकिन वह तलाक और विधवा होने के बाद दोबारा शादी करना चाहती हैं. ऐसे में उनकी इच्छी होती है कि वह वापस अपनी कौमार्य अवस्था में आ जाएं.
युद्ध की वजह से मशीन की डिलवरी में काफी देरी हुई
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन में लॉकडाउन और यूक्रेन में युद्ध की वजह से मशीन की डिलवरी में काफी देरी हुई. इसके ऑर्डर तो 8 से 9 माह पहले किए जा चुके थे, मगर समय पर मशीन नहीं मिल पाईं. यह मशीन जर्मनी की है. इस पर 30 लाख की लागत आती है. यूक्रेन में जंग के कारण पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो गई. डॉक्टरों का कहना है कि अगर मशीन सही समय आ गई होती तो इंतजार नहीं करना पड़ता.
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