पाकिस्तान के इस शहर में धूमधाम से मनाई जाती है होली-दीपावली, पूरी खबर पढ़ हक्के-बक्के रह जाएंगे आप
पाकिस्तान के थारपारकर जिले में मीठी नाम का एक शहर है, जहां की आबादी में मुस्लिमों से ज्यादा हिंदू हैं.
नई दिल्ली:
पाकिस्तान दुनिया भर में आतंकियों को पनाह देने के लिए जाना जाता है. इसके अलावा यह एक ऐसा इस्लामिक देश है, जहां हिंदुओं की हालत बेहद खराब है और पाकिस्तान की ये सच्चाई पूरी दुनिया जानती है. पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों पर होने वाले अत्याचार और जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराए जाने की खबरें आए दिन सुनने और पढ़ने को मिल जाती हैं. लेकिन आज हम आपको पाकिस्तान की एक ऐसी असलियत बताने जा रहे हैं, जिस पर विश्वास करना काफी मुश्किल है. पाकिस्तान में एक शहर ऐसा भी जहां मुस्लिमों से ज्यादा हिंदु धर्म के लोग रहते हैं. खास बात ये है कि पाकिस्तान के इस शहर में एकता की गजब मिसाल भी देखने को मिलती है. जी हां, आपको बेशक इस बात पर यकीन न हो रहा हो.. लेकिन ये सच है.
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पाकिस्तान के थारपारकर जिले में मीठी नाम का एक शहर है, जहां की आबादी में मुस्लिमों से ज्यादा हिंदू हैं. भारत के अहमदाबाद से करीब 340 किलोमीटर और पाकिस्तान के लाहौर से करीब 875 किलोमीटर दूर इस शहर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जबरदस्त भाईचारा है. एक हिंदी वेबसाइट के मुताबिक मीठी की कुल आबादी 87 हजार के आस-पास है, जिसमें से करीब 80 प्रतिशत लोग हिंदू धर्म के हैं. जबकि पाकिस्तान की कुल आबादी में 95 फीसदी हिस्सेदारी मुस्लिम धर्म की है. मीठी की एक बेहद ही खास बात ये है कि यहां मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में हिंदु-मुस्लिम मिलकर हिस्सा लेते हैं, चाहे वह पर्व दीपावली हो या ईद.
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मीठी की एक सबसे जबरदस्त बात ये है कि यहां के मुस्लिम लोग हिंदुओं की भावनाओं का ख्याल रखते हुए गाय का नहीं मारते हैं. इतना ही नहीं यहां के मुस्लिम लोग बीफ का भी सेवन नहीं करते हैं. इसके साथ ही मीठी में अपराध का ग्राफ भी बिल्कुल न के बराबर ही है, जो यहां के भाईचारे का प्रतीक है. मीठी में सांप्रदायिक हिंसा का मामला कभी भी सुनने को नहीं आता है. मीठी के बारे में बताया जाता है कि जब हिंदु धर्म के लोग मंदिरों में पूजा करने के लिए जाते हैं तो मस्जिदों से आने वाली अजान की आवाजों को काफी कम कर दिया जाता है, ताकि हिंदुओं को पूजा-पाठ करने में किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो. तो वहीं नमाज के वक्त मंदिरों में भी घंटियां नहीं बजाई जाती और भजन कीर्तन भी नहीं किया जाता है.
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