logo-image

बेटी को अंतरराष्ट्रीय पहलवान बनाने के लिए ट्रेन में दिनभर चने बेचते हैं पिता, घर लौटते ही खत्म हो जाती है दिनभर की कमाई

सईऊद्दीन अपनी बेटी सामिया को वर्ल्ड क्लास रेसलर बनाना चाहते हैं, जिसके लिए पिता-पुत्री दोनों मिलकर मेहनत कर रहे हैं.

Updated on: 12 Feb 2019, 04:49 PM

खंडवा:

हरियाणा की फोगाट सिस्टर्स ता जलवा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है. एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली फोगाट बहनों ने कुश्ती में ऐसा डंका बजाया कि उसकी धमक दुनिया के कोने-कोने में सुनाई देती है. फोगाट बहनें आज जहां भी हैं, उसमें उनके पिता महावीर सिंह फोगाट का भी बहुत बड़ा योगदान है. फोगाट बहनें देश की ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम लड़कियों और उनके परिवारों के लिए प्रेरणा हैं, जो समाज की ओछी सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की राहों पर चल रही हैं. इसी कड़ी में आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे पिता और पुत्री के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने सपने पूरे करने के लिए समाज से दुनियादारी खत्म कर दी है. जा हां, आज हम बात कर रहे हैं सईऊद्दीन और उनकी बेटी सामिया बानो की.

ये भी पढ़ें- शादी के तुरंत बाद पति की इस सच्चाई से उठा पर्दा, महज 3 मिनट में खत्म हो गया 7 जन्मों का रिश्ता

सईऊद्दीन अपनी बेटी सामिया को वर्ल्ड क्लास रेसलर बनाना चाहते हैं, जिसके लिए पिता-पुत्री दोनों मिलकर मेहनत कर रहे हैं. सामिया कुश्ती में अपने पिता और देश का नाम रोशन करने के लिए पहलवानी करती है, तो वहीं दूसरी ओर सामिया के पिता ट्रेन में चने बेचकर पैसे कमाते हैं. सईऊद्दीन ट्रेन में चने बेचकर जितने पैसे कमाते हैं, उसका ज्यादातर हिस्सा वे सामिया पर खर्च करते हैं. सामिया की ट्रेनिंग के साथ-साथ उसकी डाइट पर सईऊद्दीन की कमाई का ज्यादातर हिस्सा खर्च हो जाता है. हैरानी की बात ये है कि सईऊद्दीन सामिया की पहलवानी के साथ-साथ उसकी अच्छी पढ़ाई का भी पूरा खर्च उठा रहे हैं. सामिया के अलावा उनकी एक बड़ी बेटी और उनका एक बेटा भी है. बड़ी बेटी एमबीए की पढ़ाई कर रही है, तो वहीं बेटा 10वीं कक्षा में पढ़ रहा है. सभी बच्चे अपने पिता पर ही निर्भर है.

ये भी पढ़ें- Video: टूटी-फूटी कुर्सी पर कटिंग करने वाले नाई की ईमानदारी और काम से इतना खुश हुआ विदेशी, 20 रु. के बजाए दे दिए 30000 रुपये

सईऊद्दीन ने बताया कि वे देश के लिए खेलना चाहते थे, लेकिन परिस्थितियों की वजह से उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया. वे कहते हैं कि अब वह अपनी बेटी के जरिए अपना सपना पूरा करना चाहते हैं. सामिया फिलहाल 8वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है. वह साल 2015 से कुश्ती लड़ रही है. सामिया ने पहलवानी के अभी तक के छोटे-से सफर में स्टेट, मुख्यमंत्री कप, इंदौर जिला केसरी का खिताब जीत चुकी है. सईऊद्दीन का कहना है कि उनके समाज ने उनका खूब विरोध किया, लेकिन उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी. इतना ही नहीं सामिया की दादी ने भी उसकी पहलवानी को लेकर आपत्ति जताई थी. वे कहते हैं कि उनकी बेटी एक दिन जरूर अंतर्राष्ट्रीय पहलवान बनेगी.