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राजधानी भोपाल में कोचिंग सेंटरों की भयावह स्थिति, नहीं है छात्रों की सुरक्षा व्यवस्था के कोई इंतजाम

अब तक चेक किए गए 11 सेंटर में से 10 कोचिंग सेंटरों में फायर एस्टेनगयुशर और फायर अलार्मिंग सिस्टम तक नहीं है.

Updated on: 26 May 2019, 02:38 PM

नई दिल्ली:

सूरत (Surat) अग्निकांड के बाद मध्य प्रदेश के सभी कोचिंग सेंटरों में अगर बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था की जांच की जा रही है. ऐसे में राजधानी भोपाल में कोचिंग सेंटरों का भयावह चेहरा सामने आया है. अब तक चेक किए गए 11 सेंटर में से 10 कोचिंग सेंटरों में फायर एस्टेनगयुशर और फायर अलार्मिंग सिस्टम तक नहीं है. यहां सुरक्षा को ताक पर रखकर ये सेंटर चलाए जा रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन ने इन सेटरों को 15 दिन के अंदर सुरक्षा के मापदंड पूरे करने के निर्देश दिए है. साथ ही कहा है कि अगर 15 दिनों के भीतर व्यवस्था नहीं सुधरी तो बड़ी कार्रवाई हो सकती है.

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दरअसल, सूरत हादसे के बाद भोपाल (Bhopal) की संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने चार टीमें बनाई हैं. उन्होंने राजधानी में कोचिंग संस्थानों के बारे में ब्योरा इकट्ठा करने के लिए कहा है. इसके बाद जिला प्रशासन की टीम कोचिंग सेंटर्स का औचक निरीक्षण कर रही हैं. एमपी नगर में ही लगभग 500 कोचिंग सेंटर्स संचालित किये जा रहे हैं. ये चारों टीम 28 मई को जिला प्रशासन को अपनी रिपोर्ट सौपेंगी.

वहीं दूसरी ओर, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के सभी कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा संबंधी व्यवस्थाओं को पुख्ता बनाने व इस संबंध में ज़रूरी सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश मुख्य सचिव को दिए हैं. कमलनाथ ने मुख्य सचिव से कहा है कि सभी जिला कलेक्टरों को निर्देशित करें कि वे अपने जिले में चल रहे सभी कोचिंग संस्थानों को सूचीबद्ध कर वहां की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी कोचिंग संचालकों की बैठक कर सुरक्षा के आवश्यक मापदंड बनाए जाये. साथ ही इन संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या व उसके आधार पर उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर भी चर्चा करें. 

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मुख्यमंत्री ने कहा कि सूरत की घटना एक सबक है. इसके मद्देनजर प्रदेश में इस तरह भी घटनाएँ न हों इसके लिये सभी आवश्यक इंतजाम सुनिश्चित किए जाने चाहिए. साथ ही इस तरह की घटनाओ पर जवाबदेही भी तय हो. मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) ने कहा कि उठाये गये सभी कदमों व व्यवस्थाओं की 15 दिन में रिपोर्ट मुझे दी जाए ताकि इसके आधार पर शासन स्तर पर निर्णय लेकर उस दिशा में आवश्यक कार्यवाही की जा सके.

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