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Whatsapp के जरिये भारत में इन लोगों की गई थी जासूसी, जानें क्यों

मैसेंजर एप व्हाट्सएप के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, सीनियर अधिकारियों, वकीलों, नेताओं और राजनयिकों की जासूसी का मामला सामने आने के बाद से खूब मचा हुआ है.

Updated on: 31 Oct 2019, 08:41 PM

नई दिल्ली:

मैसेंजर एप व्हाट्सएप के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, सीनियर अधिकारियों, वकीलों, नेताओं और राजनयिकों की जासूसी का मामला सामने आने के बाद से खूब मचा हुआ है. व्हाट्सएप ने इजरायली सर्विलांस फर्म एनएसओ ग्रुप (NSO Group) पर जासूसी का आरोप लगाया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, NSO Group ने भारत समेत 20 देशों के करीब 1400 राजनयिकों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सीनियर सरकारी अधिकारियों की जासूसी की है.

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बताया जा रहा है कि जासूसी के लिए इजरायली सर्विलांस फर्म एनएसओ ग्रुप ने पेगासुस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था. व्हाट्सएप ने बताया कि जिन लोगों की जासूसी की गई, उनको अलर्ट किया गया था. हालांकि, व्हाट्सएप ने अभी तक उन लोगों के नामों का खुलासा नहीं किया है, जिनकी जासूसी की गई थी.

सूत्रों के अनुसार, भारत के कम से कम दो दर्जन पत्रकार, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता की जासूसी की गई. हालांकि, व्हाट्सएप ने इन पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों को अलर्ट भी किया था. व्हाट्सएप का कहना है कि मई 2019 तक इनकी जासूसी की गई थी. व्हाट्सएप के मुताबिक, भारत में करीब 100 सिविल सोसाइटी के सदस्यों को निशाना बनाया गया.

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कनाडा की सिटीजन्स लैब के मुताबिक, भारतीय पत्रकारों, वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने वाला एनजीओ ग्रुप खुद को गांगेस बताया था. इस जासूसी के पीछे राजनीतिक एजेंडा था. सूत्रों के मुताबिक, व्हाट्सएप ने सिटीजन्स लैब के साथ मिलकर मई से अक्टूबर तक जासूसी की जांच की थी.

इंडिया में ये लोग बनाए गए निशाना

व्हाट्सएप ने भारत में जिन पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों को जासूसी को लेकर अलर्ट किया था, वो अब सामने आ रहे हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया के मुताबिक, उनको भी जासूसी का अलर्ट आया था. भाटिया ने पुष्टि की कि उनसे व्हाट्सएप ने संपर्क किया था और मोबाइल फोन के सर्विलांस में होने को लेकर अलर्ट किया था.

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भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ताओं के वकील निहाल सिंह राठौड़ ने भी जासूसी को लेकर व्हाट्सएप की ओर से संपर्क करने और अलर्ट करने की पुष्टि की है. साथ ही एडवोकेट सुरेंद्र गडलिंग के मोबाइल फोन की जासूसी की भी बात सामने आ रही है. दावा यह भी किया जा रहा है कि भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन भी की जासूसी की गई थी.

इस मामले में केंद्र सरकार ने व्हाट्सएस से मांगा जवाब

जासूसी कांड को लेकर जहां कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां सरकार पर निशाना साध रही हैं तो वहीं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 4 नवंबर तक व्हाट्सएप से जवाब मांगा है. बीजेपी के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि व्हाट्सएप को उन लोगों के नामों का भी खुलासा करना चाहिए, जिनकी जासूसी की गई है.

व्हाट्सऐप ने इजरायली सर्विलांस फर्म पर किया मुकदमा

व्हाट्सएप ने इजरायली सर्विलांस फर्म एनएसओ ग्रुप पर जासूसी करने का आरोप लगाया है. उन्होंने एनएसओ के खिलाफ अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित फेडरल कोर्ट में मुकदमा दायर किया है. बताया जा रहा है कि एनएसओ ग्रुप ने भारत समेत 20 देशों के करीब 1400 डिप्लोमेट, राजनेता, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और सीनियर सरकारी अधिकारियों की जासूसी की.

ऐसे की गई व्हाट्सऐप के जरिए जासूसी?

साल 2016 में जासूसी का मामला सामने आया था. उस बार ई-मेल और मैसेज भेजकर पेगासुस सॉफ्टवेयर से जासूसी की गई थी. इसके बाद इस सॉफ्टवेयर का ऐपल और गूगल ने तोड़ निकाला था और इसको रोका था. अब पेगासुस को नए तरीके यानी वीडियो कॉल के जरिए मोबाइल फोन पर भेजा गया और जासूसी की गई. इस जरिए सिर्फ एक मिस कॉल से पेगासुस सॉफ्टवेयर मोबाइल में अपने आप पहुंच जाता है और हैकर नियंत्रण कर लेता है. यह पेगासुस सॉफ्टवेयर का नया वर्जन है.