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UP में अपराधियों की खैर नहीं, यूपी विधानसभा ने पारित किया यूपीकोका बिल - मौत की सजा तक का है प्रावधान

संगठित अपराध से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार विधानसभा ने यूपीकोका बिल को फिर से पारित कर दिया है।

Updated on: 27 Mar 2018, 06:15 PM

highlights

  • संगठित अपराध से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार विधानसभा ने यूपीकोका बिल को फिर से पारित कर दिया है
  • गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2017 को विधान परिषद में पास नहीं करा पाई थी

नई दिल्ली:

संगठित अपराध से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार विधानसभा ने यूपीकोका (उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड बिल) बिल को फिर से पारित कर दिया है।

बिल में मौजूद सख्त प्रावधान को 'बेरहम' बताते हुए विपक्षी दलों ने सदन से वाक आउट किया।

यूपीकोका को आज फिर से विधानसभा में पेश किया गया क्योंकि इसे पहले विधानपरिषद में पास नहीं किया जा सका था।

यूपी विधानपरिषद में बीजेपी अल्पसंख्यक है।

योगी सरकार का यह बिल महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ट क्राइम एक्ट (मकोका) की तरह ही है, जो संगठित अपराध और उसमें शामिल लोगों से सख्ती से निपटता है।

बिल की पैरवी करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी यह कोशिश उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अपराध और अपराधियों से निपटने में मददगार होगा।

अपहरण, अवैध खनन, अवैध रूप से शराब का उत्पादन और उसकी बिक्री, बाहुबल की मदद से कॉन्ट्रैक्ट हथियाना, वन्य उत्पाद का दोहन, फर्जी दवा बनाना, सरकारी और निजी संपत्तियों पर कब्जा करना और अवैध उगाही इस कानून के दायरे में होगा।

बिल के कानून बनने की स्थिति में सुरक्षा एजेंसियों को भू माफिया, अपहरण उद्योग और नेता-अपराधियों के गठजोड़ से निपटने में अतिरिक्त अधिकार मिलेंगे।

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क्या है प्रावधान?

1. बिल में चार्जशीट फाइल करने की अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन किए जाने का प्रस्ताव है।

2. बिल के तहत आने वाले मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का भी प्रस्ताव है।

3. राज्य के गृह सचिव निजी तौर पर इससे जुड़े सभी मामलों की निगरानी करेंगे।

4. मसौदे में न्यूनतम तीन साल का जबकि अधिकतम मौत की सजा तक का प्रावधान है।

5. साथ ही जुर्माने की रकम को 5 लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच रखा गया है।

राज्य में योगी सरकार कानून-व्ववस्था को दुरुस्त करने के वादे के साथ आई थी। हालांकि अपराध के मामलों में लगातार होने वाली बढ़ोतरी के कारण राज्य सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर रही है।

पिछले कुछ महीनों से कानून-व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए प्रदेश में एनकाउंटर का सिलसिला जारी है। इसके साथ ही कई दुर्दांत अपराधियों को गिरफ्तार भी किया गया है।

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