logo-image

Covid-19 से मरने वालों के शव को जलाने की आई बात, उलेमाओं ने कही ये बात

कोरोना वायरस से मरने वाले रोगियों के शवों को जालाने के लिए मुंबई में बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम) ने सोमवार को एक सर्कुलर जारी किया.

Updated on: 31 Mar 2020, 04:49 PM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस से मरने वाले रोगियों के शवों को जालाने के लिए मुंबई में बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम) ने सोमवार को एक सर्कुलर जारी किया. सर्कुलर में कहा गया था कि कोरोना संक्रमण से मरने वाले रोगियों के शवों का बिना धर्म की परवाह किए अंतिम संस्कार किया जाए यानी उन्हें जलाया जाए. उन्हें दफनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. शव को दफनाने से दूसरे लोगों में संक्रमण की संभावना होती है. संक्रमण को रोकने के लिए शव को जलाना ज्यादा बेहतर होगा.

यह भी पढ़ें- तबलीगी जमात से जुड़े ठिकानों पर पुलिस की छापेमारी, लखनऊ में किर्गिस्तान के 6 धर्म प्रचारक मिले

हालांकि, सरकार की ओर से दबाव पड़ने के बाद इस आदेश को एक घंटे में वापस ले लिया गया. लेकिन फिर भी देश के तमाम मुस्लिमों में अब बेचैनी बढ़ गई है और चिंतित नजर आ रहे हैं. मुस्लिम उलेमाओं ने कहा कि इस्लाम में शव जलाने की इजाजत नही है. ऐसे में सरकार को दूसरे विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए और उसी लिहाज से गाइडलाइन जारी की जाए.

यह भी पढ़ें- मोहल्ला क्लिनिक का एक और डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव, संपर्क में आए मरीजों को क्वारंटाइन का आदेश

लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस्लाम धर्म के अनुसार शव को जलाने की अनुमति ही नहीं है. कोरोना वायरस के चलते अगर किसी मुस्लिम की मौत हो जाती है तो उसके लिए हम लोगों ने एहतियात के तौर पर गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत सामान्य तौर पर जिस तरह शव को नहलाया जाता है वैसा नहीं किया जाएगा. मरने वाले के शव के ऊपर से पानी बहा दिया जाएगा. इसके बाद उस पर नमाज पढ़ कर उसे दफना दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि अमेरिका, चीन, इटली जैसे दुनिया भर के तमाम देशों में कोरोना से मरने वाले लोगों के शवों को जलाया नहीं जा रहा है. बल्कि उन्हें दफनाया जा रहा है. ऐसे में किसी भी तरह की विवादित बातें न करें.

यह भी पढ़ें- कोरोना वायरस से मची आर्थिक तबाही में सिर्फ भारत और चीन ही बचे रह पाएंगे, जानिए कैसे

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में यह महामारी फैली है. इसे लेकर हर कोई चिंतित है. सभी लोग मिल कर इससे लड़ रहे हैं. ऐसे में सरकार को सभी की धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए. इस्लाम में शव जलाने की किसी भी तरह से अनुमति नहीं है. इसलिए हम शव को जलाने जैसा कोई भी आदेश स्वीकार नहीं करेंगे. कोरोना को रोकने के लिए दूसरे तरह के विकल्प बताए जा सकते हैं. जैसे कब्र को कितनी गहरी खोदी जाए और शव दफनाने में क्या सावधानी बरती जाए. ऐसी किसी भी गाइडलाइन को हम स्वीकार करेंगे.

जमात-ए-उलामा-ए-हिंद से जुड़े मुफ्ती अब्दुल राजिक का कहना है कि दुनिया के तमाम देशों में कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों को दफनाया जा रहा है. हालांकि कब्र को गहरी कर पूरी तरह से उसे सैनेटाइज किया जा रहा है. इसके बाद उन्हें दफनाया जा रहा है. इस्लाम के साथ ही तमाम धर्म में दफनाने की प्रक्रिया है. सरकार धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखा जाए. सुरक्षा के लिहाज से हम पूरी तरह से सावधानी बरत रहे हैं.