3 साल मोदी सरकार: साथ, विश्वास, विकास पर मोदी के दावे, लेकिन इन मोर्चो पर फेल रही सरकार
यह सच है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने विदेश नीति को एक अलग अंदाज दिया। पारंपरिक तरीकों से हटकर उन्होंने एक अलग दिशा पकड़ी।
highlights
- मोदी सरकार ने तीन साल पूरा होने के मौके पर प्रचार के जरिए गिनाई उपलब्धियांं
- विदेश नीति सहित रोजगार और कश्मीर पर सरकार की नीतियां नहीं कर सकी कोई कमाल
- तीन साल पूरा होने के मौके पर 'साथ, विश्वास और विकास' है मोदी सरकार का नारा
नई दिल्ली:
नरेंद्र मोदी सरकार के शुक्रवार (26 मई) को तीन साल पूरे हो गए। 'अच्छे दिनों' का सपना दिखाते हुए नरेंद्र मोदी ने 26 मई, 2014 बतौर प्रधानमंत्री शपथ ली थी।
विपक्ष भले ही तमाम झाझावतों की बात करते हुए मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में है लेकिन सरकार भी तीन साल पूरा होने के मौके पर अपनी तैयारियों और दावों के साथ मैदान में है।
देश भर के अखबारों के पहले पन्ने पर शुक्रवार को मोदी सरकार का गुणगान करते प्रचार हैं। 'साथ है, विश्वास है..हो रहा विकास है', इस लाइन के साथ सरकार अपने दावों को गिना रही है।
तीन साल और मोदी सरकार के दावे
सरकार का दावा है कि उसने तीन सालों में कई बड़े और कड़े फैसले किए हैं। कालेधन और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए नोटबंदी के एतिहासिक निर्णय से लेकर बेनामी पॉप्रटी, सर्जिकल स्ट्राइक, OROP, जीएसटी, ये सब गिनाने केलिए सरकार के झोले में है।
इसके अलावा मुद्रा योजना, बैंक खाते खोलने, विदेश में भारतीयों की मदद, स्वच्छ भारत मिशन, ग्रेड-3 और 4 में इंटरव्यू खत्म, गैस कनेक्शन में बढ़ोतरी, नींम-कोटेड यूरिया, मेक इन इंडिया, स्मार्ट सिटी जैसे दावे भी सरकार की लिस्ट में हैं।
मोदी सरकार के दावों के बीच एक हकीकत ये भी
सरकार बहुत कुछ दावा कर रही है लेकिन सवाल उठता है कि इन तीन सालों में देश कहां पहुंचा है। मोदी ने 2014 में जब सत्ता संभाली तो कई उम्मीदें थी। हालांकि, अब एक सच ये भी है कि रोजगार के मसले पर सरकार बहुत सफल नहीं रही। केंद्र में मोदी सरकार बनाने के बाद से देश में बोरजगारी बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है।
भाजपा ने जब देश की सत्ता संभाली थी उस समय 2013-14 में देश में बेरोजगारी दर 4.9 फीसदी थी, जो अगले एक साल में 2015-16 में थोड़ा-सा बढ़कर 5.0 फीसदी हो गई।
जुलाई 2014 से दिसंबर 2016 के बीच उत्पादन, कारोबार, निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, परिवहन एवं आतिथ्य सेवा तथा रेस्तरां सेक्टरों में 641,000 रोजगार का सृजन हुआ। इसकी तुलना में जुलाई, 2011 से दिसंबर, 2013 के बीच इन्हीं क्षेत्रों में 12.8 लाख रोजगार सृजित हुए थे।
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विदेशों में सुधरी भारत की छवि लेकिन हुआ क्या
यह सच है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने विदेश नीति को एक अलग अंदाज दिया। पारंपरिक तरीकों से हटकर उन्होंने एक अलग दिशा पकड़ी। मीडिया में इसकी खूब तारीफ भी हुई। लेकिन मोदी बड़े बिजनेस डील और अमेरिका या जापान जैसे देशों के बड़े बिजनेसमैन को पूरी तरह से आश्वस्त करने में कामयाब नहीं हो सके हैं। सबकुछ फोटो सेशन तक सिमट कर रह गया।
पाकिस्तान से रिश्ते जस के तस, कश्मीर में भी मुश्किल
चीन, अमेरिका, जापान, रूस या सार्क....पीएम मोदी ने बहुत कुछ बदलने की कोशिश तो की लेकिन गाड़ी अब भी वहीं खड़ी है। खासकर, पाकिस्तान को लेकर रिश्ते और खराब ही हुए। कश्मीर में भी पिछले एक या डेढ़ साल से चीजें सुधरने की बजाए और मुश्किल हुई हैं।
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