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पी चिदंबरम को लेकर जो फैसला आएगा, वो माल्‍या, चोकसी, जाकिर नाइक के केस को प्रभावित करेगा : तुषार मेहता

तुषार मेहता ने कहा कि सिब्बल की मांग है कि कोर्ट को सबूतों के आधार पर पूछे गए सवाल और उन पर चिंदबरम के जवाब देखकर ये चेक करना चाहिए कि क्या वो सवालो से बच रहे हैं या नहीं.

Updated on: 29 Aug 2019, 03:10 PM

नई दिल्ली:

ED केस में मनी चिंदबरम की अग्रिम ज़मानत पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश करते हुए PMLA के तहत विजय माल्या, मेहुल चौकसी, ज़ाकिर नाइक और अन्य टेरर फंडिंग केस का हवाला दिया. मेहता ने कहा कि इस मामले में आया फैसला बाकी मामलों पर भी प्रभाव डालेगा. दूसरे टेरर फंडिंग केस को भी प्रभावित करेगा. तुषार मेहता ने कहा कि सिब्बल की मांग है कि कोर्ट को सबूतों के आधार पर पूछे गए सवाल और उन पर चिंदबरम के जवाब देखकर ये चेक करना चाहिए कि क्या वो सवालो से बच रहे हैं या नहीं. इस मांग को अगर मान लिया गया तो इसके बड़े विनाशकारी परिणाम होंगे.

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तुषार मेहता ने कहा- जांच को कैसे बढ़ाया जाए, ये पूरी तरह से एजेंसी का अधिकार है. केस की ज़रूरत के मुताबिक एजेंसी तय करती है कि किस स्टेज पर किन सबूतों को जाहिर किया जाए, किनको नहीं. अगर गिरफ्तार करने से पहले (अग्रिम ज़मानत की स्टेज पर) ही सारे सबूतों, गवाहो को आरोपी के सामने रख दिया जाएगा तो ये आरोपी को सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और मनी ट्रेल को ख़त्म करने का मौक़ा देगा.

तुषार मेहता बोले, हमारे साथी कपिल सिब्बल का कहना है कि अपराध की गम्भीरता सब्जेक्टिव टर्म है. PMLA के तहत मामले उनके लिहाज से गम्भीर नहीं होंगे पर हकीकत ये है कि इस देश की अदालतें आर्थिक अपराध को गम्भीर मानती रही हैं. (सिब्बल ने कल कहा था कि 7 साल से कम तक की सज़ा के प्रावधान वाले अपराध को CRPC के मुताबिक कम गम्भीर माना जाता है)

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तुषार मेहता ने कहा, कोई अपराध कितना गम्भीर है, उसकी कसौटी केवल उस अपराध के नियत सज़ा की अवधि नहीं हो सकती. मायने ये रखता है कि उस अपराध का समाज और देश पर क्या असर हुआ.

तुषार मेहता ने कहा, दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान एक नोट फ़ाइल किया था और कोर्ट ने उसे देखा. फैसले में कहा गया कि निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए रिकॉर्ड को देखा गया है. उन्‍होंने कहा- सीलबंद कवर में चिंदबरम के खिलाफ सबूत और उनके बयान मौजूद है. कोर्ट चाहे तो उन्हें देख सकता है ताकि कोई संदेह न रहे कि चिंदबरम के खिलाफ पुख्ता सबूत है या नहीं.

कपिल सिब्बल एक बार फिर दलीलें रख रहे हैं. वो फिर से पुरानी दलीलें पेश कर रहे हैं कि कैसे दिल्‍ली हाई कोर्ट में ED ने सुनवाई पूरी होने के बाद नोट ज़मा कराया. उन पर चिंदबरम के वकीलों को पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया और बाद में DHC ने फैसले में इस नोट को हूबहू ले लिया.