Shivaji Jayanti: शिवाजी जयंती 19 फरवरी को, जानें उनके जीवन से जुड़ी अनकही बातें
छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया
नई दिल्ली:
छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती (Shivaji Jayanti) 19 फरवरी को पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन पूरा देश उन्हें याद करता है. शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. उनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था. वे भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे, जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी. उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया. सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह 'छत्रपति' बने. छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया.
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शिवाजी महाराज की आयु जब महज 16 वर्ष थी, तो उन्हें लगा कि हिन्दुओं की मुक्ति के लिए संघर्ष करना होगा. इसके बाद शिवाजी ने अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी. जब आदिलशाह बीमार पड़ा, तो बीजापुर में अराजकता फैल गई. शिवाजी ने इस मौके का लाभ उठाते हुए बीजापुर में प्रवेश करने का फैसला किया. बहुत ही कम उम्र में उन्होंने टोरना किले पर कब्जा जमा लिया. 1659 में आदिलशाह के सेनापति और शिवाजी महाराज के बीच प्रतापगढ़ किले पर लड़ाई हुई.
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आदिलशाह ने अपने सेनापति को शिवाजी की हत्या करने के लिए भेजा था. शिवाजी युद्ध में विजयी हुए. शिवाजी की बढ़ती ताकत को देखते हुए मुगल सम्राट औरंगजेब ने जय सिंह और दिलीप खान को शिवाजी को रोकने के लिए भेजा. शिवाजी आगरा के दरबार में औरंगज़ेब से मिलने के लिए गए. वह 9 मई 1666 को अपने पुत्र संभाजी एवं 4000 मराठा सैनिकों के साथ मुग़ल दरबार में उपस्थित हुए. परन्तु औरंगज़ेब द्वारा उचित सम्मान न प्राप्त करने पर शिवाजी ने भरे हुए दरबार में औरंगज़ेब को विश्वासघाती कहा. इससे औरंगजेब ने उन्हें एवं उनके पुत्र को 'जयपुर भवन' में क़ैद कर दिया.
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शिवाजी 13 अगस्त, 1666 ईसवी को फलों की टोकरी में छिपकर फ़रार हो गए. 1674 तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था, जो पुरन्दर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुग़लों को देने पड़े थे. उन्होंने मराठाओं की एक विशाल सेना तैयार कर ली थी. उन्हीं के शासन काल में गुरिल्ला युद्ध के प्रयोग का भी प्रचलन शुरू हुआ. उन्होंने नौसेना भी तैयार की थी. भारतीय नौसेना का उन्हें जनक माना जाता है. अप्रैल 1680 को बीमार होने पर उनकी मृत्यु हो गई थी.
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