SC ने शिक्षामित्रों पर UP सरकार को दिया निर्देश, कहा-6 महीने में पूरी करें भर्ती
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस यूयू ललित की 3 सदस्यीय पीठ ने यह फैसला सुनाया है, उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों पर भर्ती को लेकर पीठ ने यह फैसला सुनाया.
नई दिल्ली:
शिक्षामित्रों के भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को निर्देश दिया है कि योग्य शिक्षामित्रों की भर्ती प्रक्रिया अगले छह महीनों में पूरी की जाए. आपको बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश शिक्षा मित्रों की अर्जियों पर दिया है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों की भर्ती नहीं की जा रही है. ऐसे योग्य शिक्षामित्र जिन्हें अब तक नौकरी नहीं मिली थी सबने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में इस बात की अर्जी दी जिसके बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को यह निर्देश जारी किया.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस यूयू ललित की 3 सदस्यीय पीठ ने यह फैसला सुनाया है, उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों पर भर्ती को लेकर पीठ ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने शिक्षामित्रों की भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को बची हुई सीटों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा है. पीठ ने राज्य सरकार को 6 हफ्ते में भर्ती प्रक्रिया शुरू कर के 6 महीने पर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने आ आदेश दिया है.
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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया में 4 साल के अनुभव वाले शिक्षामित्रों को 1% वेटेज देने पर विचार करने का सुझाव भी दिया है. दूरस्थ बीटीसी शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि कोर्ट से शिक्षा मित्रों को पूरी उम्मीद थी कि पक्ष में आदेश आएगा, परन्तु ऐसा नही हुआ. संघ यूपी सरकार से मिल कर शिक्षा मित्रो के भविष्य सुरक्षित करने का आग्रह करेगा. आपको बता दें कि इसके पहले अगस्त 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों को झटका देते हुए शिक्षा मित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद करने वाले फैसले के खिलाफ दाखिल शिक्षा मित्रों की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दी थी. कोर्ट पुनर्विचार याचिके 30 जनवरी 2018 को खारिज कर चुका है.
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यह मामला उत्तर प्रदेश में 172000 शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर करने का है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, एसए बोबडे, एनवी रमना और यूयू ललित की पीठ ने गत 6 अगस्त को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मित्र संघ की ओर से दाखिल क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया था. फैसला वेबसाइट पर बाद में उपलब्ध हो पाया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उन्होंने याचिका और उसके साथ दाखिल दस्तावेजों पर गौर किया है. जिसमें पाया गया कि यह मामला क्यूरेटिव याचिका पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मानकों में नहीं आता है. इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है.
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