संस्कृत भाषा के बल पर बन सकेंगे बोलने वाले कंप्यूटर, केंद्रीय एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल का दावा
निशंक ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बम्बई के 57वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी मानती है कि संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है.
highlights
- संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है. इसमें जो शब्द जैसे लिखे जाते हैं, उसी तरह बोले भी जाते हैं.
- भारत की ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में विश्व को नेतृत्व प्रदान करने की विरासत रही.
- ऋषि चरक ने ही पहली बार अणु और परमाणु की खोज की थी.
मुंबई.:
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा है कि अगर आने वाले समय में चलता-फिरता या बोलने वाले कंप्यूटर का आविष्कार होता है, तो यह संस्कृत भाषा की वजह से ही संभव होगा. निशंक ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बम्बई के 57वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी मानती है कि संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है. इसमें जो शब्द जैसे लिखे जाते हैं, उसी तरह बोले भी जाते हैं. केंद्रीय मंत्री ने अणु और परमाणु की खोज के बारे में छात्रों को बताया कि ऋषि चरक ने ही पहली बार अणु और परमाणु की खोज की थी.
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विश्व गुरु बनाएगा आईआईटी
केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने शनिवार को भारत को अगले पांच वर्षों में शिक्षा में क्षेत्र में विश्व गुरु के तौर पर स्थापित करने में आईआईटी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. निशंक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2024 तक शिक्षा में वैश्विक गुरु के तौर पर स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. उन्होंने कहा, 'इस लक्ष्य को साकार करने में आईआईटी को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है.' उन्होंने कहा कि संस्कृति को शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए ताकि व्यक्ति में विकास के लिए स्थायी और दृढ़ आधार हो.
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भारत पसंदीदा निवेश स्थल
उन्होंने आईआईटी बम्बई को 'क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग' में 200 शीर्ष विश्वविद्यालय में स्थान बनाने के लिए बधाई दी और इससे अधिक ऊंचा लक्ष्य रखने का आह्वान किया. निशंक ने कहा, 'आईआईटी बम्बई जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने जैसे विकास लक्ष्यों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.' उन्होंने कहा कि 'मेक इन इंडिया', 'डिजिटल इंडिया', 'स्टार्टअप इंडिया' और 'स्टैंडअप इंडिया' जैसे कार्यक्रम परिवर्तनकारी योजनाएं हैं. उन्होंने कहा कि भारत अब विश्व का सबसे पसंदीदा निवेश स्थल बन गया है.
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भारत ज्ञान-विज्ञान की प्राचीन सभ्यता
उन्होंने गणित, औषधि और परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में प्राचीन भारत के योगदानों को याद करते हुए कहा, 'भारत की ज्ञान एवं विज्ञान के क्षेत्र में विश्व को एक नेतृत्व प्रदान करने की एक विरासत रही है. आईआईअी छात्रों को यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि भारत यह नेतृत्व की भूमिका निभाना जारी रखे.' इस मौके पर इंफोसिस टेक्नोलॉजी लिमिटेड के संस्थापक एवं अध्यक्ष तथा यूआईडीएआई के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणि को एक उद्योगपति के तौर पर उल्लेखनीय योगदान एवं प्रौद्योगिकी के जरिए सामाजिक विकास का समर्थक होने के लिए डॉक्टर आफ साइंस की (मानद) डिग्री प्रदान की गई. नीलेकणि ने इस मौके पर इंफोसिस निर्माण और बाद में आधार परियोजना एवं अन्य के बारे में अपने अनुभव साझा किए.
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