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एक देश-एक चुनाव पर कमेटी की रिपोर्ट सामने आई, जानें चुनाव को लेकर क्या सिफारिशें की गईं 

एक देश-एक चुनाव को कराने को लेकर संबंधित सिफारिशें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दे दी गई हैं. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाले पैनल ने 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट को सौंपा है.

Updated on: 14 Mar 2024, 04:15 PM

नई दिल्ली:

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा, राज्यों की विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने को लेकर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. समिति ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दो सितंबर 2023 को समिति के गठन के बाद तैयार की जा रही थी. इसके लिए स्टेकहोल्डर्स, विशेषज्ञों के साथ सलाह-मशविरा हुआ. रिसर्च समिति रिपोर्ट 191 दिनों के बाद आई है. समिति के अनुसार, पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव संग हो सकता हैं. इसके बाद 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव के कराए जा सकेंगे. 

सिफारिश की 8 बड़ी बातें:

  1. समिति की सिफारिश लोकसभा, विधानसभा चुनावों के साथ-साथ पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव कराए जा सकते हैं. हालांकि समिति इनको दो चरणों में लागू करने की सिफारिश करती है. यहां पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के   चुनाव फिर 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की बात की है. 
  2. समिति की ओर से संविधान कुछ संशोधन की वकालत की गई है. इसके साथ कुछ शब्दावली में हल्का बदलाव या यूं कहें कि उनको नए सिरे से परिभाषित करने की बात है. ‘एक साथ चुनाव’ को ‘जनरल इलेक्शन’ कहने का सुझाव दिया है. 
  3. सिफारिश के अनुसार, लोकसभा-विधानसभा चुनाव के बीच मे खास तालमेल बैठाया जा सकता है. एक देश – एक चुनाव होने पर यह हर पांच साल पर हुआ करेगा. कोई सदन पांच वर्ष की समय अवधि से पहले भंग हुई तो फिर मध्यावधि चुनाव अलगे पांच साल के लिए नहीं बल्कि अगले पांच साल के लिए नहीं बल्कि केवल बचे हुए कार्यकाल के लिए होगा. इस तरह से अवधि पूरा होने तक राज्य और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकेंगे. 
  4. अगर पांच साल पूरा किए बगैर यदि किसी राज्य विधानसभा में सरकार गिरती है. त्रिशंकु या अविश्वास प्रस्ताव जैसी स्थिति सामने आती है. तो बचे हुए कार्यकाल की अवधि के आधार पर विधानसभा में चुनाव कराए जाएंगे. 
  5. सिफारिशों के तहत एकल मतदाता सूची तैयार करने का सुझाव दिया गया है. इसके लिए संविधान के कई अनुच्छेदों  में संविधान संशोधन की सिफारिश हुई हैं. 
  6. असाधारण परिस्थितियों को लेकर राज्य विधानसभा में कोई सरकार बनाने में सक्षम नहीं हो तो चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए. ये तब तक होगा जब तक लोकसभा का कार्यकाल पूरा ना हो.
  7. लोकसभा की पहली बैठक में राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी करके 324A के प्रावधान को लागू कर सकते हैं. उसे तय तिथि कहा जाएगा. इस तय तिथि के बाद लोकसभा और विस का कार्यकाल पांच साल के लिए हो जाएगा. यह कार्यकाल पूरा होने से पहले सरकार गिरती है तो बाकी वक्त के लिए चुनाव कराए जाने की बात है. 
  8. पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग लॉजिस्टिक्स का अनुमान लगाए. उस पर अपना ब्यौरा दे. इसके साथ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली यह उच्च स्तरीय समिति एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के अंतिम कई अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश की है.