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रेल भाड़ा विवाद : कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल नहीं कर रहे मजदूरों के किराये का भुगतान

लॉकडाउन के कारण फंसे श्रमिकों से रेलवे द्वारा कथित तौर पर भाड़ा लिए जाने की आलोचना होने के बीच सूत्रों ने सोमवार को कहा कि अब तक चलायी गयी 45 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए महाराष्ट्र , केरल और कर्नाटक को छोड़कर विभिन्न राज्य सरकारों ने भुगतान किया है.

Updated on: 05 May 2020, 06:54 AM

दिल्ली:

लॉकडाउन के कारण फंसे श्रमिकों से रेलवे द्वारा कथित तौर पर भाड़ा लिए जाने की आलोचना होने के बीच सूत्रों ने सोमवार को कहा कि अब तक चलायी गयी 45 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए महाराष्ट्र , केरल और कर्नाटक को छोड़कर विभिन्न राज्य सरकारों ने भुगतान किया है. सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में प्रवासी कामगारों के यात्री किराये का भुगतान करने की बात को खारिज कर दिया.

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सूत्रों ने बताया कि राजस्थान, तेलंगाना और झारखंड जैसे राज्य श्रमिकों की यात्रा के लिए भुगतान कर रहे हैं. केवल एक ट्रेन झारखंड पहुंची हैं और उसने भी यात्रा का भुगतान किया है. सूत्रों ने कहा कि गुजरात सरकार ने यात्रा पर आने वाले खर्च का एक हिस्सा देने के लिए एक एनजीओ को संबद्ध किया है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक जैसे राज्य जहां से कुछ ट्रेनें चल रही हैं, वे यात्राओं के लिए प्रवासी श्रमिकों से पैसे ले रहे हैं. विवाद सोमवार को तब पैदा हुआ जब कई विपक्षी दलों ने प्रवासी श्रमिकों से ट्रेन टिकट के पैसे नहीं लिए जाने की मांग की. कांग्रेस ने ऐसे प्रवासियों के लिए भुगतान करने की पेशकश की.

रेल किराए को लेकर पैदा विवाद के बीच भाजपा ने कहा कि रेलवे पहले ही यात्रा लागत का 85 प्रतिशत वहन करते हुए सब्सिडी पर टिकट मुहैया करा रहा है. रेलवे ने इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि फंसे हुए लोगों को पहुंचाने के लिए विशेष रेलगाड़ी चलाने की अनुमति कुछ राज्यों के अनुरोध के आधार पर दी गई.

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उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने कभी भी कामगारों से किराया वसूलने की बात नहीं की. किराये का 85 प्रतिशत हिस्सा रेलवे वहन करेगा और 15 प्रतिशत संबंधित राज्य देंगे. भारतीय रेलवे ने आधिकारिक रूप से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन सूत्रों ने इस पूरे विवाद को राजनीतिक करार दिया. अधिकारियों का कहना है कि रेलवे राज्य सरकारों से इन विशेष ट्रेनों के लिए केवल मानक किराया वसूल रहा है जो कुल लागत का सिर्फ 15 प्रतिशत है.

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘रेलवे सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए प्रत्येक कोच में बर्थ खाली रखते हुए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रहा है. ट्रेनें गंतव्य से खाली लौट रही हैं. रेलवे द्वारा प्रवासियों को मुफ्त भोजन और बोतलबंद पानी दिया जा रहा है. हम अब तक 45 ऐसी ट्रेनें चला चुके हैं और आगे भी चलाते रहेंगे. हमारे एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) में कहीं भी, हमने नहीं कहा है कि यात्रा करने वाले प्रवासियों से किराया लिया जाएगा. ’’

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इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को एक वीडियो बयान में कहा कि राज्य सरकार प्रवासियों के परिवहन के लिए रेलवे को पैसे दे रही है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी प्रवासी को अपनी यात्रा के लिए पैसे देने की आवश्यकता नहीं है.’’