दिल्ली हाईकोर्ट ने तीस हजारी हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश, 6 दिनों में देनी होगी रिपोर्ट
वकीलों और पुलिस के बीच हुई इस हिंसक झड़प की जांच में सीबीआई के डायरेक्टर, आईबी के डायरेक्टर, विजिलेंस डायरेक्टर और सीनियर अधिकारियों की मदद ली जाएगी.
नई दिल्ली:
शनिवार को तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दिल्ली की हाईकोर्ट ने रविवार को मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. दिल्ली हाई कोर्ट के मुताबिक यह न्यायिक जांच रिटायर्ड जज एसपी गर्ग के नेतृत्व में की जाएगी. वकीलों और पुलिस के बीच हुई इस हिंसक झड़प की जांच में सीबीआई के डायरेक्टर, आईबी के डायरेक्टर, विजिलेंस डायरेक्टर और सीनियर अधिकारियों की मदद ली जाएगी. इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को घायल वकीलों के बयान दर्ज करने के भी आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि मामले में आरोपित पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाए, और यह कमेटी अगले 6 सप्ताह में जांच पूरी कर हाई कोर्ट को रिपोर्ट सौंपे.
Delhi High Court directs Delhi Police Commissioner to record statements of the injured advocates, and instructs to lodge an FIR immediately, in connection with yesterday's clash between police & lawyers at Tis Hazari Court. pic.twitter.com/wC3p6vKvcJ
— ANI (@ANI) November 3, 2019
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हाई कोर्ट ने घायल वकीलों के बेहतरीन इलाज कराने के लिए दिल्ली सरकार को आदेश दिया है इसके अलावा हिंसक झड़प में घायल में दो अन्य वकीलों को मुआवजा देने का आदेश भी दिया है. इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट में हिंसक झड़प मामले को संज्ञान में लेते हुए पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा, जिसपर दिल्ली पुलिस ने सफाई देते हुए कहा कि पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है.
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इसके पहले शनिवार को दिल्ली की तीस हजारी अदालत में हुई हिंसक झड़प कई लोग घायल हो गए थे. बाद में इस मामले में कई सनसनीखेज खुलासे सामने आए. कुछ तो ऐसे तथ्य हैं जिन पर आसानी से विश्वास करना भी मुश्किल है. सच तो मगर सच है जिसे नकार पाना दिल्ली पुलिस और वकीलों में से किसी के लिए भी आसान नहीं होगा. तथ्यों पर विश्वास करने-कराने के लिए खून-खराबे वाले इस शर्मनाक घटनाक्रम के वीडियो ही काफी हैं.
मीडिया की विशेष पड़ताल और घटनाक्रम के वीडियो (सीसीटीवी और मोबाइल फुटेज) देखने के बाद यह साफ हो गया है कि, 'वकील यूं ही बेखौफ होकर पुलिस वालों पर नहीं टूट पड़े थे, बल्कि उन्हें लॉकअप की सुरक्षा में तैनात तमाम निहत्थे हवलदार-सिपाहियों (इनमें से अधिकांश दिल्ली पुलिस तीसरी बटालियन के जवान हैं, जिनकी जिम्मेदारी लॉकअप सुरक्षा और जेलों से अदालत में कैदियों को लाने ले जाने की है.) को जमकर पीटने का पूरा-पूरा मौका कथित रुप से दिया गया!'
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