पीएम नरेंद्र मोदी ने विकास दर और रोजगार पर बनाई दो समितियां, जानें क्या होगा इनका काम
बुधवार को दो नई मंत्रिमंडलीय समितियों का गठन किया गया. इन दोनों समितियों का काम प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक विकास को गति देना, निवेश का माहौल बेहतर बनाने के साथ-साथ रोजगार के अवसर बढ़ाना होगा.
highlights
- आर्थिक विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए बनाई 5 सदस्यीय समिति.
- रोजगार और कौशल विकास के लिए बनी समिति में हैं दस सदस्य.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मकसद अगले पांच साल में परिणाम देना है.
नई दिल्ली.:
अपने दूसरे कार्यकाल को योजनाओं के क्रियान्वयन के पांच साल बनाने और इसके लिए बेहद जरूरी भारतीय अर्थव्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के महाअभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुट गए हैं. इस कड़ी में उन्होंने सबसे पहले सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था और लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों को अस्त्र-शस्त्र मुहैया कराने वाली बेरोजगारी की दर को सुधारने का बीड़ा उठाया है. इसके तहत उन्होंने बुधवार को दो नई मंत्रिमंडलीय समितियों का गठन किया. इन दोनों समितियों का काम प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक विकास को गति देना, निवेश का माहौल बेहतर बनाने के साथ-साथ रोजगार के अवसर बढ़ाना होगा.
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निवेश और विकास समिति
निवेश और विकास (इन्वेस्टमेंट एंड ग्रोथ) पर बनी पांच सदस्यीय कैबिनेट कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा एमएसएमई मिनिस्टर नितिन गडकरी के साथ-साथ रेल मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं. इसका मुख्य काम सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के साथ-साथ निवेश के लिए पारदर्शी और बेहतर माहौल तैयार करना है.
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रोजगार और कौशल विकास समिति
रोजगार एवं कौशल विकास (एंप्लॉयमेंट एंड स्किल डिवेलपमेंट) पर समिति में चेयरमैन समेत 10 सदस्य हैं. शाह, सीतारमण और गोयल को इस समिति में भी शामिल किया गया है. इनके अलावा, कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कौशल विकास एवं आंत्रेप्रेन्योरशिप मंत्री महेंद्र नाथ पाण्डेय के साथ-साथ श्रम राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार एवं आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी इस समिति के सदस्य हैं.
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आर्थिक सुस्ती के संकेतों से चिंतित
गौरतलब है कि केंद्र में गठित नई सरकार के सामने अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी विकास दर घटकर 5.8 प्रतिशत पर आ गई है. वहीं, पूरे वित्त वर्ष की आर्थिक विकास दर 6.8 प्रतिशत है जो पिछले पांच साल का निचला स्तर है. वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 7.2 प्रतिशत के जीडीपी ग्रोथ रेट का लक्ष्य रखा गया था जो 0.04% से पिछड़ गया.
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45 वर्षों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
इसी तरह, रोजगार सृजन को लेकर आए आंकड़ों ने भी सरकार को चिंता में डाल दिया है. 30 मई को मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के एक दिन बाद ही पीएलएफएस वार्षिक रिपोर्ट (जुलाई 2017 से जुलाई 2018) में देश में 6.1 प्रतिशत बोरोजगारी दर होने की बात कही गई, जो पिछले 45 वर्षों में सबसे ज्यादा है.
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