अब कोरोना मसले पर कैप्टन-सिद्धू की पत्नी में छिड़ी तकरार
कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह तो आमने सामने थे ही. अब दोनों की पत्नियों ने अब एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है.
highlights
- कांग्रेस आलाकमान के समक्ष अपना पक्ष रखने कैप्टन दिल्ली पहुंचे
- इधर पंजाब में कोरोना को लेकर सिद्धू और सीएम की पत्नी में तकरार
- पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कप्तान की कुर्सी रहेगी बरकरार
नई दिल्ली/चंडीगढ़:
पंजाब कांग्रेस में मची रार का पटाक्षेप करने सीएम अमरिंदर सिंह शुक्रवार को दिल्ली आ पहुंचे हैं. यह अलग बात है कि कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू से उनकी लड़ाई दिल्ली में बैठे कांग्रेस आलाकमान की पेशानी पर बल दे रही है. दूसरी ओर दोनों की पत्नियों ने अब एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है. अब दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है. इस बीच सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलेंगे और समिति के सामने भी पेश होंगे. यह अलग बात है घरेलू मोर्चे पर उनकी पत्नियों के बीच छिड़ी तकरार मामले में घी डालने का काम कर सकती है.
कोरोना पर सामने आईं दोनों की पत्नियां
गौरतलब है कि कैप्टन की पत्नी व लोकसभा सांसद परणीत कौर ने इस पूरे विवाद में बोलते हुए कहा कि सिद्धू को इस महामारी के दौरान अपने चुनावी क्षेत्र में जाकर काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग सुरक्षित रहें. उनका कहना था कि अगर सिद्धू के कोई मसले थे तो वह सीएम से बात कर सकते हैं या फिर कांग्रेस आलाकमान के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं. इस पर पलटवार करते हुए सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने कहा कि कोरोना जब तबाही मचा रहा था तब पूरे एक साल तक आप लोग पटियाला में न होकर अपने फॉर्महाउस में थे. आप अमृतसर ईस्ट (सिद्धू की चुनाव क्षेत्र) की चिंता न करें, पूरी कुशलता से उसकी देखभाल की जा रही है.
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चुनाव के मद्देनजर आलाकमान रख रहा सधे कदम
बता दें कि कैप्टन के खिलाफ पंजाब के कई नेताओं में नाराजगी है, जिसे इन नेताओं ने विवाद सुलझाने के लिए बनाई गई कमेटी के सामने रखा है. यूं तो तमाम नेताओं व विधायकों में कैप्टन की कार्यशैली व कुछ मुद्दों पर उनके रुख को लेकर असंतोष है. कैप्टन से नाराज खेमा उन्हें हटाना चाहता है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक तमाम नाराजगी के बावजूद ज्यादातर लोग चुनाव से ऐन पहले कैप्टन को हटाए जाने के पक्ष में नहीं हैं.यही वजह है कि पिछले तीन दिनों में पंजाब कांग्रेस में चल रही खींचातानी को दूर करने के लिए बनी समिति में लगभग 80 से ज्यादा नेताओं से मिलकर उनकी राय व पक्ष जाना. इनमें विधायकों के अलावा सांसद भी शामिल थे.
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