विदेश में मानव भ्रूण निर्यात के लिए शख्स ने मांगी एनओसी, Delhi HC में याचिका
अधिवक्ता परमिंदर सिंह के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता समंथक घोष ने कहा कि एम्ब्रायस और गैमेट्स के निर्यात के लिए दिशा-निर्देशों के अनुसार पहले भ्रूण के निर्यात की अनुमति थी.
highlights
- कैलिफोर्निया में सरोगेट मां के लिए चाहिए याची को मानव भ्रूण
- आईसीएमआर पर अनापत्ति प्रमाणपत्र में देरी का लगाया आरोप
नई दिल्ली:
एक शादीशुदा शख्स ने कैलिफोर्निया में रह रही सरोगेट मां को मानव भ्रूण निर्यात की प्रक्रिया के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने की प्रक्रिया तेज करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस पर जस्टिस यशवंत वर्मा ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), नेशनल असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एंड सरोगेसी बोर्ड (एनएआरटीएसबी) समेत केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी. याचिकाकर्ता ने कहा है कि जवाब देने में देरी से सरोगेट मां के साथ उसका समझौता खत्म हो गया था. अब उसने दोबारा से समझौता किया है. ऐसे में इस बार वह खटाई में नहीं पड़े तो उसे अनापत्ति प्रमाणपत्र जल्द मुहैया कराया जाए.
फिलवक्त निर्यात के लिए प्रतिबंधित
प्राप्त जानकारी के मुताबिक अधिवक्ता परमिंदर सिंह के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता समंथक घोष ने कहा कि एम्ब्रायस और गैमेट्स के निर्यात के लिए दिशा-निर्देशों के अनुसार पहले भ्रूण के निर्यात की अनुमति थी. हालांकि 25 जनवरी 2022 को सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) अधिनियम के अधिनियमित होने के बाद राष्ट्रीय बोर्ड की अनुमति के साथ निजी उपयोग को छोड़कर भारत में इस तरह के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया गया.
आईसीएमआर ने जवाब देने में की देरी
याचिका में कहा गया कि एआरटी अधिनियम के लागू होने से पहले उक्त एनओसी के लिए आईसीएमआर को आवेदन किया था, लेकिन परिषद ने याचिकाकर्ता को कोई जवाब नहीं दिया. इस बीच एआरटी अधिनियम अधिनियमित किया गया था. इसके तहत भ्रूण या उसके किसी भी भाग या जानकारी को भारत के भीतर या बाहर किसी भी किसी को बेचने, स्थानांतरित करने या उपयोग करने पर रोक लगा दी थी. हालांकि भ्रूण के हस्तांतरण के मामले में राष्ट्रीय बोर्ड की अनुमति से व्यक्तिगत उपयोग के लिए इसमें छूट दी गई है.
दिए यह कारण
याची ने आईसीएमआर के साथ-साथ भारत सरकार को आवश्यक एनओसी जारी करने के लिए कई पत्र भेजे. याचिका में यह भी कहा गया कि चूंकि राष्ट्रीय सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी और सरोगेसी बोर्ड का गठन अभी तक नहीं हुआ था, इसलिए याचिकाकर्ता का आवेदन को एआरटी अधिनियम के लागू होने से पहले पुराने आदेश के तहत लिया जाना चाहिए था. इसके बावजूद याचिकाकर्ता को कोई जवाब नहीं मिला और इसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता द्वारा कैलिफोर्निया में किराए की मां के साथ किया गया मूल सेवा समझौता समाप्त हो गया.
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