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'अच्‍छे दिनों' के लिए नए सिरे से बनेगा संसद भवन, पुराने में ये हैं दोष

बताया जा रहा है कि संसद भवन में भयानक वास्‍तु दोष है, जिससे देश की आर्थिक प्रगति बाधित हो रही है.

Updated on: 18 Sep 2019, 11:25 AM

highlights

  • एडविन लुटियन और हर्बर्ट बेकर ने तैयार था कि भारतीय संसद का डिजाइन
  • तत्‍कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को की थी शुरुआत
  • ओम बिड़ला ने स्‍पीकर बनते ही जताई थी नए संसद भवन के निर्माण की उम्‍मीद 

वायसराय लार्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को की थी

नई दिल्‍ली:

मोदी सरकार (Modi Government) ने नया संसद भवन (Parliament House) बनाने की घोषणा कर दी है. नया संसद भवन बनते ही अंग्रेजों की यह बड़ी निशानी की पहचान खत्‍म हो जाएगी. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान 1927 में यह बिल्डिंग बनाई गई थी, जिस पर 83 लाख रुपये खर्च हुए थे. सब कुछ तय समय से हुआ तो 2022 का संसद सत्र नई बिल्डिंग में बुलाया जाएगा. केंद्र सरकार ने इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी कर दिया है. अब संभावित बिडर को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा.

बताया जा रहा है कि संसद भवन में भयानक वास्‍तु दोष है, जिससे देश की आर्थिक प्रगति बाधित हो रही है. वास्‍तु के जानकारों का मानना है कि चूंकि इस भवन से ही देश के लिए सभी नियम बनाए जाते हैं, नीतियां तय की जाती हैं, इसलिए इसमें वास्‍तु दोष होने पर पूरे देश पर इसका असर पड़ता है. वास्‍तु के जानकार इस जगह की मिट्टी का परीक्षण (भूमि शोधन) भी जरूरी मान रहे हैं.

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पुराने संसद भवन का निर्माण अंग्रेज आर्किटेक्ट सर हर्बर्ट बेकर के द्वारा किया गया था. 92 साल पुराने इस वृत्ताकार भवन का व्यास 170.69 मीटर है, जिसमें तीन अर्ध-वृत्ताकार (Semi Circle) चेंबर हैं- लोकसभा, राज्यसभा और सेंट्रल हॉल.

पिछले 12 सितंबर को नए संसद भवन का ऐलान करते हुए केंद्रीय शहरी विकास राज्‍य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था, सेंटर विस्टा (Central Delhi) का री-कंस्ट्रक्शन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है. बताया जा रहा है कि 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले जुलाई 2022 तक सरकार ने इस ड्रीम प्रोजेक्‍ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

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सबसे पहले 2002 में तत्‍कालीन लोकसभा अध्‍यक्ष मनोहर जोशी (Manohar Joshi) ने संसद भवन के वास्‍तु दोष का जिक्र किया था. उस समय 13 सांसदों की मौत हो गई थी, जिसमें पूर्व स्पीकर जीएम बालयोगी भी थे. वहीं, 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर हमला भी हुआ था. तत्‍कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की सहमति के बाद स्‍पीकर मनोहर जोशी ने वास्तु विशेषज्ञों की सलाह दी. वास्‍तु विशेषज्ञों ने संसद भवन जाकर परीक्षण भी किया था और मनोहर जोशी को रिपोर्ट भी दी थी, लेकिन बताया जा रहा है कि प्रगतिशील लोगों के डर इसे उजागर नहीं किया गया.

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पुराने संसद भवन का शिलान्‍यास 12 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनाट (Duke of Connaught) ने किया था और इसकी शुरुआत तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को की थी. इस तरह बिल्डिंग 92 साल पुरानी हो चुकी है. नई सरकार बनने के बाद लोकसभा में कार्यवाही शुरू होने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने कहा था, हम सबकी आकांक्षा है कि दुनिया के सबसे बड़े गणराज्य और विशाल लोकतंत्र का संसद भवन सबसे भव्य और आकर्षक बने.

संसद भवन के निर्माण में 83 लाख रुपये खर्च हुए थे. ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियन (Edwin Lutyens) और हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) ने इसका डिजाइन तैयार किया था. इसके आर्किटेक्ट भले ही विदेशी थे लेकिन निर्माण भारत की ही सामग्री से हुआ. बनाने वाले श्रमिक भारतीय ही थे.