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गोल्ड जीतने के बाद नीरज चोपड़ा पर धनवर्षा, जानिए किसने कितना दिया?

हरियाणा के दो एथलीटों ने शनिवार को टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया

Updated on: 07 Aug 2021, 10:38 PM

नई दिल्ली:

हरियाणा के दो एथलीटों ने शनिवार को टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. पानीपत जिले के नीरज चोपड़ा ने पुरुषों की भालाफेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर देश और राज्य को गौरवान्वित किया, जबकि झज्जर जिले के बजरंग पुनिया ने 65 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती में कजाकिस्तान के नियाजबेकोव को 8-0 से हराकर कांस्य पदक जीता. नीरज के गोल्ड जीतने के बाद उन पर इनामों की बारिश शुरू हो गई है.  इस क्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चोपड़ा 6 करोड़ रुपये नकद पुरस्कार की घोषणा की. चोपड़ा को उनकी जीत के लिए बधाई देते हुए खट्टर ने कहा कि उन्होंने न केवल पदक जीता, बल्कि पूरे देश का दिल भी जीता. उन्होंने कहा, "देश इस पल का लंबे समय से इंतजार कर रहा था और पूरे देश को उन पर गर्व है."

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वहीं, पंजाब सरकार ने नीरज चोपड़ा बधाई देते हुए उनको दो करोड़ रुपए नकद इनाम देने की घोषणा की है. इस दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी नीरज को टोक्यो में ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, "सोना! नीरज चोपड़ा.आपने इतिहास रचा है और पूरे देश को गौरवान्वित किया है।" उन्होंने कहा, "आपका 87.58 मीटर विनिंग थ्रो आज ट्रैक एंड फील्ड क्षेत्र के दिग्गजों का हिस्सा होगा। भारत आपका ऋणी है! जय हिंद।" इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने भी नीरज चोपड़ा को एक करोड़ रुपए देना का एलान किया है. वहीं, इंडिगो एयर लाइन ने नीरज चोपड़ा को एक साल के लिए अनलिमिटेड फ्री ​हवाई यात्रा की सुविधा दी है.

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हरियाणा के पानीपत जिले के स्टार एथलीट ने भाला फेंक में 87.58 मीटर के प्रयास के साथ स्वर्ण पदक जीतने के बाद इतिहास रच दिया, वह अभिनव बिंद्रा के बाद ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय बने हैं. वहीं, हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव में जश्न की लहर दौड़ गई है, जब यह खबर आई कि उसका प्रतिभाशाली बेटा सूबेदार नीरज चोपड़ा, वीएसएम, ओलंपिक में पदक (वह भी एक स्वर्ण) जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट बन गए, जब से भारत ने आधिकारिक तौर पर 1928 में खेलों में प्रवेश किया.