अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखने को तैयार हैं बाबर के वंशज
भारत में अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर के वंशज याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने अयोध्या में राम मंदिर बनने की इच्छा जताते हुए कहा कि ऐसा होने पर हमारा परिवार उसकी पहली ईंट रखेगा.
highlights
- बहादुर शाह जफर के वंशज ने अयोध्या में राम मंदिर की इच्छा जताई.
- याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने राम मंदिर की पहली ईंट रखने का भी किया वादा.
- कहा-अगर उन्हें यह जमीन मिलती है तो वह मंदिर निर्माण के लिए दे देंगे.
नई दिल्ली.:
संभवतः इसे ही वक्त का फेर कहते हैं. मुगल बादशाह बाबर के आदेश पर अयोध्या में जिस राम मंदिर को ढहा कर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया गया था. अब उसी स्थान पर राम मंदिर के निर्माण के लिए बाबर के ही वंशज आगे आए हैं. भारत में अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर के वंशज याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने अयोध्या में राम मंदिर बनने की इच्छा जताते हुए कहा कि ऐसा होने पर हमारा परिवार उसकी पहली ईंट तो रखेगा ही, साथ ही मंदिर की नींव के लिए सोने की शिला भी दान देंगे.
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अयोध्या मामले में पक्षकार बनना चाहते हैं
गौरतलब है कि हाल ही में तुसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार बनाने की भी मांग की थी. हालांकि तुसी की इस याचिका को कोर्ट ने अब तक स्वीकार नहीं किया. इस कड़ी में शनिवार को अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने तुसी से बातचीत का पूरा ब्योरा छापा है. इसमें उन्होंने कहा है कि विवादित जमीन के मालिकाना हक पर मैं अपने विचार रखना चाहता हूं. चूंकि विवादित जमीन के मालिकाना हक के कागजात किसी के पास नहीं हैं, तो मुगल वंश का वंशज होने के नाते एक बार तो मुझे सुना ही जाना चाहिए.
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सच्चा मुसलमान हिंदुओं की भावना समझेगा
तुसी ने कहा कि 1529 में प्रथम मुगल शासक बाबर ने अपने सैनिकों को नमाज पढ़ने की जगह देने के लिए बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था. यह स्थान सिर्फ सैनिकों के लिए था और किसी के लिए नहीं. मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता कि मस्जिद से पहले यहां क्या था, लेकिन अगर हिंदू उस स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान मानकर उसमें आस्था रखते हैं, तो एक सच्चे मुस्लिम की तरह मैं उनकी भावना का सम्मान करूंगा.
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राम मंदिर के लिए दे देंगे जमीन दान
इस सवाल पर कि क्या उनके पास जमीन के मालिकाना हक से जुड़े कोई दस्तावेज हैं, तुसी ने कहा कि उनके पास भले ही कोई कागज ना हो, लेकिन मुगल वंश के उत्तराधिकारी की हैसियत से वह इस जमीन के मालिकाना हक के अधिकारी कहे जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें यह जमीन मिलती है तो वह इसे मंदिर निर्माण के लिए दान कर देंगे.
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