संसद हंगामे के बीच सांसद प्रताप सिम्हा की सफाई, महीनों से पास के लिए जिद कर रहा था उपद्रवी
प्रताप सिम्हा कर्नाटक के मैसूर से भाजपा सांसद हैं. उनकी सिफारिश पर ही दोनों उपद्रवियों के संसद विजिट पास बने थे, जहां उन्होंने स्मोक स्टिक के पीले धुएं से हंगामा मचा दिया.
नई दिल्ली :
संसद में हाई सिक्योरिटी के बीच दो उपद्रवियों ने सदन में कूद कर हंगामा मचा दिया. दोनों उपद्रवियों ने स्मोक स्टिक से पूरे सदन में अफरा-तफरी का माहौल बना दिया. इस बीच खबर आई है कि, सांसद प्रताप सिम्हा की सिफारिश पर उन दोनों उपद्रवियों की एंट्री संसद में हुई थी. सांसद प्रताप सिम्हा के कहने पर ही युवकों का पास बना था. वहीं दोनों उपद्रवियों की गिरफ्तारी के बाद, सांसद प्रताप सिम्हा ने अपनी सफाई देने के लिए फौरन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात की है...
कौन है सांसद है प्रताप सिम्हा
गौरतलब है कि, प्रताप सिम्हा कर्नाटक के मैसूर से भाजपा सांसद हैं. उनकी सिफारिश पर ही दोनों उपद्रवियों के संसद विजिट पास बने थे, जहां उन्होंने स्मोक स्टिक के पीले धुएं से हंगामा मचा दिया. हालांकि वक्त पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा उपद्रवियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. साथ ही उन्हें फौरन जांच एजेंसियां के पास, मामले से जुड़े जरूर सवाल-जवाब के लिए भेज दिया गया. लिहाजा अपनी सफाई देने के लिए, मैसूर भाजपा सांसद फौरन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और संसदी कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात के लिए पहुंचे.
घटना पर प्रताप सिम्हा का क्या कहना है?
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और संसदी कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी से मिलकर प्रताप सिम्हा ने अपनी सफाई में कहा कि, पुलिस की गिरफ्त में आए दोनों उपद्रवियों में से एक के पिता उनके जानकार हैं. उस युवका घर भी उनकी ही लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है, लिहाजा वो कई माह से लोकसभा देखने के लिए पास की मांग कर रहा था. इसके लिए वो कई दफा, उनके मैसूर और दिल्ली के ऑफिस भी पहुंच चुका था, जिसके बाद बुधवार सुबह ही वो अपने एक साथी के साथ प्रताप सिम्हा के ऑफिस पहुंच पास बनवाया.
क्या था पूरा मामला?
तकरीबन 1 बजे, जब लोकसभा की LIVE कार्यवाही चल रही थी, दो शख्स विजिटर गैलरी से अचानक सदन के बीच कूद जाते हैं. उनमें से एक शख्स, जूता निकालता नजर आता है फिर उसमें से कुछ निकालने की कोशिश करता है. सिर्फ 2 मिनट के अंदर ही दोनों युवक संसद से कनस्तर निकालते हैं. जिसमें पीला धुंआ निकल रहा था. वे कुर्सी की ओर भागने की कोशिश कर रहे थे. साथ ही कुछ नारे लगा रहे थे.ये देख संसद में अफरा तफरी मच जाती है. तभी कुछ सांसद मिलकर दोनों युवकों को पकड़ लेते हैं, फौरन सुरक्षाकर्मियी भी मौके पर पहुंच जाते हैं. हालांकि दोनों घटनाओं में बहुत बड़ा अंतर है. दिनांक और तारीख जरूर एक है लेकिन वो एक आतंकी हमला था. साथ ही ये विरोध प्रर्दशन नजर आ रहा है. लेकिन गैस के गोले लेकर संसद में घुसना जरूर एक बड़ी चूक नजर आती है.
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