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आज राज्‍यसभा में पेश होगा आरटीआई संशोधन विधेयक, कैसे पास कराएगी सरकार

विपक्ष इस विधेयक को सेलेक्‍ट कमेटी में भेजने की मांग कर रहा है तो सरकार की मंशा है कि विधेयकों को बिना अटकाए धड़ाधड़ पारित कराया जाए.

Updated on: 25 Jul 2019, 09:37 AM

नई दिल्‍ली:

आरटीआई (सूचना का अधिकार) संशोधन विधेयक आज राज्‍यसभा में पेश होने वाला है. सरकार इसे हर हाल में पारित कराना चाहेगी, जबकि विपक्ष इसमें अड़ंगा डालने के लिए हरसंभव कोशिश करेगा. 14 विपक्षी दलों के सांसद राज्‍यसभा में इसे रोकने के लिए एकजुट हो गए हैं. विपक्ष इस विधेयक को सेलेक्‍ट कमेटी में भेजने की मांग कर रहा है तो सरकार की मंशा है कि विधेयकों को बिना अटकाए धड़ाधड़ पारित कराया जाए.

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सूत्रों के अनुसार, RTI बिल को पास करवाने के लिए सरकार सोनिया गांधी से मदद मांग सकती है. इसके अलावा आज संसद सत्र के विस्तार की भी घोषणा हो सकती है. RTI बिल के विरोध में अभी 14 दलों के कुल 111 सदस्य हैं. जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 सदस्यों का है.

अभी राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत के आंकड़े से आधे दर्जन सदस्य कम हैं. ऐसे में अगर विपक्ष ने कुछ और सांसदों को अपने पाले में किया तो फिर आरटीआई बिल पास कराने के दौरान पक्ष-विपक्ष में कांटे की लड़ाई हो सकती है.

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राज्य सभा की गणित के मुताबिक 230 सदस्यों वाले उच्च सदन में एनडीए के 110 राज्यसभा सांसद हैं. टीआरएस, बीजेडी और वायएसआरसीपी जैसी गैर-यूपीए पार्टियां फिलहाल तटस्थ हैं, लेकिन इस बात की प्रबल संभावना है कि उक्त तीनों दल भी अंततः एनडीए को किसी मसले पर समर्थन देने में पीछे नहीं रहेंगे. यही वजह है कि सदन में बीजेपी के फ्लोर मैनेजर्स को भरोसा है कि किसी भी विधेयक को पारित कराने में सदस्यों की कमी आड़े नहीं आने वाली. वायएसआर के फिलहाल 2 सदस्य हैं. बीजेडी के 7 सदस्य हो जाएंगे. फिलहाल इनके 5 सांसद हैं.

RTI कानून में क्या होने हैं बदलाव
1- अब तक सूचना आयुक्त का पांच साल का तय कार्यकाल होता है. अधिकतम उम्र सीमा 65 साल तक है. इसमें जो भी पहले पूरा होगा, उसे माना जाएगा. सरकार अब इस व्यवस्था को बदलना चाहती है. संशोधन बिल में कहा गया है कि सूचना आयुक्तों का कार्यकाल सरकार तय करेगी. विपक्ष का तर्क है कि सरकार कार्यकाल तय करेगी तो आयुक्तों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी.

2- विधेयक पास होने के बाद वेतन और भत्ते तय करने का अधिकार भी केंद्र सरकार को मिल जाएगा. जबकि 2005 में बने मूल कानून में यह व्यवस्था है कि केंद्रीय स्तर पर मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों में चुनाव आयोग का नियम लागू होगा. यानी उन्हें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की तरह वेतन भत्ते प्राप्त होंगे.