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Andhra के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी भाजपा में शामिल हो गए, कसा तंज

अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी कांग्रेस पार्टी छोड़ने के कुछ सप्ताह बाद शुक्रवार को भाजपा में शामिल हो गए. पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के बेटे का भगवा स्वागत करने के बाद दक्षिण में बीजेपी का यह दूसरा बड़ा कदम है.

Updated on: 07 Apr 2023, 02:50 PM

highlights

  • एके एंटनी के बेटे के बाद एक और दिग्गज कांग्रेसी ने थामा केसरिया दामन
  • अविभाजित आंध्र प्रदेश के आखिरी सीएम किरण कुमार बीजेपी में हुए शामिल
  • किरण कुमार ने पहले भी आंध्र के विभाजन के खिलाफ छोड़ी थी कांग्रेस पार्टी

नई दिल्ली:

अविभाजित आंध्र प्रदेश के अंतिम मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी (Kiran Kumar Reddy) शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए. उन्होंने यह कदम पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) को एक लाइन का त्याग पत्र भेज कांग्रेस (Congress) छोड़ने के कुछ सप्ताह बाद उठाया है. उनका ज्वाइनिंग समारोह नई दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में आयोजित किया गया था जहां पार्टी नेता और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उन्हें पार्टी में शामिल किया. समारोह में भाषण देते हुए किरण कुमार ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह कांग्रेस पार्टी छोड़ देंगे. उन्होंने कांग्रेस आलाकमान पर परोक्ष रूप से तंज कसते हुए कहा, 'कहावत है मेरा राजा बड़ा बुद्धिमान है, वह अपने बारे में नहीं सोचता, किसी की सलाह नहीं सुनता.'

अपना अलग राजनीतिक दल भी बना चुके हैं किरण
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि किरण कुमार के परिवार के कई सदस्य कांग्रेस में थे. उन्होंने आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री के भाजपा में शामिल होने के फैसले की सराहना की और कहा, 'वह भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई को मजबूत करेंगे क्योंकि एक विधायक और मंत्री के रूप में उनकी छवि बहुत साफ रही है. यह आंध्र प्रदेश में भाजपा को तगड़ी बढ़त दिलाएगा.' किरण कुमार ने 2014 में भी तत्कालीन यूपीए सरकार के आंध्र प्रदेश को विभाजित करने और तेलंगाना को अलग करने के फैसले के विरोध में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अपनी पार्टी 'जय समैक्य आंध्र' बनाई और यहां तक ​​कि 2014 के चुनावों में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार भी उतारे थे.

लंबे समय से थे राजनीति से दूर
हालांकि बिना किसी चुनावी लाभ के पूर्व मुख्यमंत्री 2018 में फिर से कांग्रेस में शामिल होने से पहले लंबे समय तक राजनीति से दूर रहे. आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस तब से आंध्र प्रदेश में एक भी लोकसभा या विधानसभा सीट नहीं जीत पाई है. यही नहीं, कांग्रेस को इसकी एक बड़ी राजनीतिक कीमत भी चुकानी पड़ी है. कांग्रेस की प्रदेश ईकाई से कई दिग्गज नेता दूसरी पार्टियों का दामन थाम चुके हैं.