जस्टिस जोसेफ के विवाद के बीच 3 नए न्यायाधीशों ने बतौर सुप्रीम कोर्ट जज ली शपथ
सुप्रीम कोर्ट में अब जजों की सख्यां 25 हो गई , जबकि कुल स्वीकृत जजों की संख्या 31 है यानि कुल 6 पद अभी भी खाली है।
नई दिल्ली:
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरण व न्यायमूर्ति केएम जोसेफ ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। यह शपथ ग्रहण न्यायमूर्ति जोसेफ को वरिष्ठता क्रम में तीसरे स्थान पर रखे जाने के विवादों के बीच हुआ है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनकी संस्तुति पहले ही कर दी थी।
तीन नए न्यायाधीशों के शामिल होने के बाद शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 28 हो गई है।
यह पहली बार है कि सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में तीन महिला न्यायाधीश हैं। इसमें न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा व न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी शामिल शामिल हैं।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट की सातवीं महिला न्यायाधीश हैं। सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति फातिमा बीवी, इसके बाद न्यायमूर्ति रूमा पाल, न्यायमूर्ति रंजना देसाई, न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा हैं।
बता दें कि उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति को लेकर पिछले काफी समय से विवाद चल रहा था।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति को लेकर कॉलेजियम द्वारा जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश को खारिज कर दिया था। कॉलेजियम ने जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश 10 जनवरी को की थी।
केंद्र सरकार ने जस्टिस जोसेफ के नाम को कर दिया था खारिज
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जस्टिस जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति की सिफारिश यह कर खारिज कर दी थी कि यह ऊपरी अदालत के मानदंडों में नहीं आता और साथ ही केरल से काफी संख्या में जजों का प्रतिनिधित्व है जहां से वे आते हैं।
उनके नाम की सिफारिश चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलेमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की सदस्यों वाली कॉलेजियम ने की थी।
बता दें कि जस्टिस के एम जोसेफ उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के उस बेंच का हिस्सा थे जिसने 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेन्द्र मोदी सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था।
मार्च 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। कुछ दिनों बाद ही जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे निरस्त कर दिया था।
और पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जोसेफ की नियुक्ति को लेकर सीजेआई से मिलेंगे
जस्टिस के एम जोसेफ जुलाई 2014 से उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने हुए हैं। उन्हें 14 अक्टूबर 2004 को केरल हाई कोर्ट का स्थायी जज नियुक्त किया गया था, बाद में 31 जुलाई को 2014 को वे उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने।
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