बेटे का नाम आते ही फफक-फफक कर रोने लगी शहीद की मां तो राष्ट्रपति ने दिखाया बड़ा दिल
1963 में बनी बन्दिनी फिल्म का यह गीत आज उस समय जीवंत हो उठा, जब एक मां देश के लिए शहीद हुए अपने लाल के शौर्य चक्र का सम्मान स्वीकार करने राष्ट्रपति भवन पहुंची. शौर्य चक्र के लिए जैसे ही बिलाल अहमद माग्रे के नाम की घोषणा हुईं तो उनकी मां सारा बेगम अप
नई दिल्ली:
मत रो माता लाल तेरे बहुतेरे...मत रो माता लाल तेरे बहुतेरे...जन्मभूमि के काम आया मैं बड़े भाग है मेरे...मत रो माता लाल तेरे बहुतेरे मत रो... 1963 में बनी बन्दिनी फिल्म का यह गीत आज उस समय जीवंत हो उठा, जब एक मां देश के लिए शहीद हुए अपने लाल के लिए शौर्य चक्र का सम्मान स्वीकार करने राष्ट्रपति भवन पहुंची. शौर्य चक्र के लिए जैसे ही बिलाल अहमद माग्रे के नाम की घोषणा हुईं तो उनकी मां सारा बेगम अपनी कुर्सी से खड़ी हुईं. सारा की आखों से आसुंओं की धारा बह रही थी...पांव कांप रहे थे. इस बेबस मां के दुख का अंदाजा शायद वहां बैठा हर शख्स लगा सकता था. साफ झलक रहा था कि सारा के दिल में रह-रह कर अपने बेटे बिलाल की याद उमड़ रही थी. एक मां का यह अश्रुपूर्ण रुदन देख हर कोई उसके दिल का हाल समझ रहा था. पूरा हॉल पिन ड्रॉप साइलेंस में बदल चुका था. डायस पर खड़े राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी शायद इसका अंदाजा हो चुका था. यही वजह है कि देश की आन के लिए कुर्बान होने वाले शेर को जन्म देने वाली मां को उन्होंने और कष्ट नहीं देना चाहा और अपना प्रोटोकॉल तोड़ खुद ही चलकर सारा के पास पहुंच गए और उनको सम्मानित किया. राष्ट्रपति भवन में शायद ही पहले कभी इतना भावुक कर देने वाला वाक्या किसी ने देखा हो.
#WATCH | J&K SPO Bilal Ahmad Magray awarded Shaurya Chakra posthumously for showing indomitable courage in evacuating civilians & engaging terrorists despite being seriously injured during a counter-terror operation in Baramulla in 2019.
— ANI (@ANI) November 23, 2021
His mother Sara Begum received the award pic.twitter.com/XlmHQ0TGqg
...पूरा शरीर कांप रहा था
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के एसपीओ बिलाल अहमद माग्रे ने 2019 में बारामूला में एक आतंकवादी हमले में अदम्य साहस का परिचय दिया था. एक आतंक विरोधी अभियान के दौरान गंभीर रूप से घायल हो चुके बिलाल ने न केवल नागरिकों को निकालना बल्कि आतंकवादियों को उलझाने का भी काम किया. इसके लिए उनको मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया. इसके लिए उनकी मां सारा बेगम राष्ट्रपति भवन पहुंची थीं. लेकिन जैसे ही उनके सम्मान के लिए उनके बेटे का नाम बुला तो लाल खोने का दर्द उनकी आंखों से छलक आया और वो तेज-तेज रोने लगीं. उनका पूरा शरीर कांप रहा था. मानों कि जैसे गिर न जाएं. तभी वहां खड़े एक सुरक्षाकर्मी ने अपने साथी को सारा को संभालने का इशारा किया. तब तक राष्ट्रपति भी स्थित को पूरी तरह से भांप चुके थे. इसलिए वह खुद चलकर सारा के पास आ गए और उनको वहीं पर सम्मानित किया. जबकि प्रोटोकॉल के अनुसार सम्मान पाने वाले शख्स को राष्ट्रपति के पास मंच पर पहुंचना होता है.
10 शौर्य चक्र सहित अन्य वीरता पुरस्कार
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को सशस्त्र बलों के जवानों और शहीदों को वर्ष 2020 के लिए दो कीर्ति चक्र, एक वीर चक्र और 10 शौर्य चक्र सहित अन्य वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया. कोविंद सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं. उन्होंने कर्मियों को विशिष्ट वीरता, अदम्य साहस और कर्तव्य के प्रति अत्यधिक समर्पण के लिए पुरस्कार प्रदान किए. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यहां राष्ट्रपति भवन में सुबह में पहले चरण और शाम को दूसरे चरण में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह के दौरान पुरस्कार प्रदान किए गए. दो में से एक कीर्ति चक्र और 10 में से दो शौर्य चक्र शहीदों को मरणोपरांत दिए गए... कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्रों के अलावा, राष्ट्रपति ने 13 परम विशिष्ट सेवा पदक, दो उत्तम युद्ध सेवा पदक और 24 अति विशिष्ट सेवा पदक भी प्रदान किए. पुरस्कार समारोह के दौरान सबसे मार्मिक क्षण वे क्षण थे, जब मरणोपरांत पुरस्कार पाने वालों में से तीन के प्रशस्ति पत्र पढ़े गए.
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