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क्या BJP के साथ जा रहे जयंत चौधरी? NDA के इस नेता ने दे दिया बड़ा बयान

यूपी में राष्ट्रीय लोकदल बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन में शामिल हो सकती है

Updated on: 07 Feb 2024, 01:32 PM

New Delhi:

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, बिहार में नीतीश और पंजाब में आम आदमी पार्टी के अकेला चुनाव में उतरने के फैसले के बाद अब विपक्षी पार्टियों के गठबंधन को इंडिया को उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका लग सकता है. यूपी में राष्ट्रीय लोकदल बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन में शामिल हो सकती है. चर्चा तो यहां तक है कि भारतीय जनता पार्टी ने रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को यूपी में लोकसभा की चार सीट देने पर मना भी लिया है. हालांकि रालोद मुखिया जयंत चौधरी की तरफ से इन अटकलों पर न तो कोई बयान आया है और न हीं उन्होंने अपना रुख साफ किया है. इन खबरों के बीच केंद्रीय मंत्री और अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने एनडीए में जयंत चौधरी का स्वागत किया है. 

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केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि मैंने मीडिया में रोलाद के एनडीए में शामिल होने संबंधी खबरे बढ़ी हैं. अगर ऐसा है तो मैं अपनी पार्टी की तरफ से जयंत चौधरी का स्वागत करती हूं. अनुप्रिया पटेल ने आगे कहा कि मुझे बीजेपी और रालोद के बीच सीटों के बंटवारे की अभी तक कोई सूचना नहीं है. लेकिन में किसी भी पार्टी के एनडीए में शामिल होना का स्वागत करूंगी...इससे हमारा संगठन मजबूत होगा. वहीं, समाजवादी पार्टी ने रालोद के एनडीए में शामिल होने की खबरों को कोरी अफवाह बताया है. सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि रालोद हमारे साथ है और आगे भी चुनाव में हमारी साथ रहेगी. सपा महासचिव शिवपाल यादव ने कहा कि बीजेपी के लोग भ्रमित कर रहे हैं, हम जयंत चौधरी को जानते हैं वह INDIA गठबंधन के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ेंगे और बीजेपी को हराएंगे.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पश्चिम उत्तर प्रदेश एक जाट और मुस्लिम बहुल्य क्षेत्र है. वेस्ट यूपी की इस जाट बेल्ट पर रालोद का काफी असर माना जाता है. यहां लोकसभा की कुल 27 सीटें हैं. हालांकि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 27 सीटों में से 19 सीटें जीत ली थीं. जबकि 8 सीटें महागठबंधन के खाते में चली गई थीं. इनमें 4 पर समाजवादी पार्टी और 4 पर बहुजन समाज पार्टी ने जीत दर्ज कराई थी. लेकिन रालोद का खाता तक न खुल पाया था. ऐसे में संसद में अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए जयंत चौधरी को इस समय एक मजबूत गठबंधन की तलाश है, जिसके सहारे रालोद संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सके.